जम्मू-कश्मीर में 90 के दशक में आतंकवाद की बढ़ती गतिविधियों के बीच, भारतीय सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स (DGMO) ने ऑपरेशन सिंदूर का विस्तृत ब्यौरा दिया है। DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने पहलगाम अटैक के बाद भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई और पाकिस्तान में मची हलचल के बारे में बताया।
80 के दशक के अंत में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या शुरू हुई। तब से 28,000 से ज्यादा आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं। 90 के दशक से 1,00,000 से ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को जम्मू-कश्मीर से बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। 60,000 से ज्यादा परिवारों का पलायन हुआ है। 15,000 निर्दोष नागरिक और 3,000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं। यह सब कहाँ से शुरू हुआ, यह स्पष्ट है।
DGMO घई ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर रातोंरात नहीं हुआ। 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद सीमाओं पर लामबंदी करनी पड़ी थी। 2016 में सुरक्षाकर्मियों पर घात लगाकर हमला किया गया। 2019 में एलओसी के पार सटीक हमला किया गया। लेकिन इस बार घटनाओं की तीव्रता और व्यापकता बड़ी थी।
22 अप्रैल को, आतंकवाद पहलगाम में आ धमका। नियंत्रण रेखा के पार से आए आतंकवादियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर दी। उनके धर्म समुदाय के बारे में पूछा और परिवारों के सामने उन्हें निर्ममता से गोली मार दी। कश्मीर प्रतिरोध मोर्चा ने हमले की जिम्मेदारी ली, लेकिन बाद में पीछे हट गए।
DGMO राजीव घई ने कहा कि सेना प्रमुख ने सेना को आगे की कार्रवाइयों को अंजाम देने के लिए पूरी छूट दी थी। 22 अप्रैल से 6-7 मई की रात के बीच तैयारियां चल रही थीं। टारगेट्स पर ध्यान दिया जा रहा था। सीमाओं पर एहतियाती तैनातियां की गईं। कई सरकारी विभाग और एजेंसियां आपस में समन्वय कर रही थीं।
DGMO ने स्क्रीन पर पाकिस्तान में भारतीय सेना के एक्शन का सबूत भी पेश किया। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा कि मुरीदके लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी गढ़ है। वायुसेना ने हमला किया और अहम ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। 7 मई की सुबह 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। बहावलपुर की तस्वीरें और वीडियो भी दिखाए गए। संयुक्त राष्ट्र की ओर से बैन एक आतंकवादी, मारे गए लोगों और पाकिस्तानी सेना के प्रमुख लोगों के लिए प्रार्थना सभा की अगुआई कर रहा था।
ले. जनरल घई ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी सेना और उसके चीफ दबाव में थे। उनके लिए सबसे अच्छा तरीका वही था जो उन्होंने किया, चाहे वह कितना भी कायरतापूर्ण क्यों न रहा हो।
DGMO ने पाकिस्तान की जीत के दावे पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के पीछे गए और उनका खात्मा करने के बाद इसे बढ़ाने का इरादा नहीं था, जब तक कि ऐसा करने के लिए मजबूर न किया जाए। पाकिस्तानियों ने शायद अनजाने में पिछले महीने 14 अगस्त को अपने अवॉर्ड्स की लिस्ट जारी कर दी, और उनकी ओर से मरणोपरांत दिए गए पुरस्कारों की संख्या से अब पता चलता है कि नियंत्रण रेखा पर उनके हताहतों की संख्या भी 100 से ज़्यादा थी।
*#WATCH | Delhi | Director General Military Operations Lt Gen Rajiv Ghai says, If we come down to Muridke. This is the terror hub of the Lashkar-e-Taiba. That s the Indian Air Force strike you can see on the screen right on top. The before and after pictures, some high-value… pic.twitter.com/W0H1peEvd8
— ANI (@ANI) October 14, 2025
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