बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में क्या मुस्लिम समुदाय एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका निभाने वाला है? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बार चुनाव में एनडीए और इंडिया ब्लॉक के अलावा एक तीसरा मोर्चा भी मैदान में दिख सकता है.
2020 के विधानसभा चुनाव की तरह, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), यानी ओवैसी की पार्टी, एक बार फिर खेल बिगाड़ने के लिए तैयार है. पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, और कुछ सीटों के नाम भी बताए गए हैं.
AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष ने प्रेस वार्ता में पहली सूची जारी की, जिसमें उन विधानसभा क्षेत्रों का उल्लेख है जहां से पार्टी चुनाव लड़ेगी. इनमें किशनगंज जिले की बहादुरगंज, ठाकुरगंज, कोचाधामन और किशनगंज विधानसभा सीटें शामिल हैं. इसके अलावा, पूर्णिया जिले की अमौर और बायसी सीटें भी शामिल हैं.
ओवैसी ने पहले राजद (RJD) के साथ गठबंधन करने की इच्छा जताई थी. AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने लालू प्रसाद यादव को एक पत्र लिखकर 2025 के विधानसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था. उनका मानना था कि इससे मुस्लिम बहुल सीटों पर राजद को फायदा हो सकता है. लेकिन राजद ने ओवैसी के इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. फलस्वरूप, ओवैसी ने अकेले ही चुनावी मैदान में उतरने और 100 मुस्लिम बहुल सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा करके खुली चुनौती दे दी है.
बिहार में लगभग 17 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं, जो लगभग 50 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. ऐसे में, AIMIM किंगमेकर बन सकती है. यदि पार्टी एक बार फिर वोट बैंक में सेंध लगाती है, तो इसका नुकसान राजद को उठाना पड़ सकता है, जैसा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में हुआ था. उस चुनाव में AIMIM ने सीमांचल की 5 सीटें जीती थीं, जिससे राजद का सरकार बनाने का सपना टूट गया था.
असदुद्दीन ओवैसी ने 2015 में बिहार के चुनावी मैदान में प्रवेश किया था. उन्होंने सीमांचल में 6 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 20 सीटों पर प्रत्याशी उतारे और सीमांचल की 5 सीटें जीतीं. हालांकि, 2022 में AIMIM के 4 विधायक राजद में शामिल हो गए, जिससे पार्टी को बड़ा झटका लगा. इस बार, ओवैसी 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारकर दोनों गठबंधनों को टक्कर देने के मूड में हैं और वे खेल पलट भी सकते हैं.
बिहार के सीमांचल, मगध और कोसी इलाकों में मुस्लिम आबादी अधिक है. सीमांचल में कुल 24 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें मुस्लिम आबादी लगभग 47 प्रतिशत है और ज्यादातर पिछड़ी जाति की है. ओवैसी ने 2020 के चुनाव में सीमांचल की 14 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 5 जीते थे. बाकी 6 सीटें मिथिलांचल की थीं, जहां उन्हें हार मिली थी.
सीमांचल के किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जिलों में मुस्लिम मतदाता निर्णायक साबित होते हैं. इसलिए, ओवैसी ने इन चारों जिलों में अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है. किशनगंज में लगभग 70%, अररिया में लगभग 42% और कटिहार में लगभग 38% मुस्लिम आबादी है.
बिहार की कुल 17 प्रतिशत मुस्लिम आबादी में भी 73 प्रतिशत मुस्लिम अल्पसंख्यक यानी पसमांदा समाज के हैं, जबकि 27 प्रतिशत आबादी अपर कास्ट वाले मुस्लिमों की है. बिहार में कुल 112 जातियां अति पिछड़ा समुदाय की हैं, जिनमें से 27 जातियां अल्पसंख्यकों की हैं. ऐसे में सीमांचल इलाका और लगभग 50 सीटें दोनों महागठबंधनों का खेल बिगाड़ सकती हैं. यदि इन सीटों पर AIMIM जीती तो दोनों में से किसी को भी सरकार बनाने के लिए AIMIM से गठबंधन करना पड़ सकता है.
*AIMIM बिहार प्रदेश अध्यक्ष जनाब @Akhtaruliman5 ने प्रेस वार्ता के ज़रिए पहली सूची जारी की, जिसमें यह बताया गया कि पार्टी किन विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ेगी।
— AIMIM (@aimim_national) October 11, 2025
पहली सूची इस प्रकार है:
जिला किशनगंज: बहादुरगंज, ठाकुरगंज, कोचाधामन और किशनगंज विधानसभा
जिला पूर्णिया: अमौर, बायसी और… pic.twitter.com/eHd7AJiaug
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