अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के उत्तर प्रदेश के दारुल उलूम देवबंद दौरे ने सबको चौंका दिया। छात्रों में उन्हें लेकर ऐसा क्रेज देखने को मिला, जैसा आमतौर पर फिल्मी सितारों के लिए होता है।
तस्वीरें देखकर लग रहा था कि दीवानगी फिल्मी सितारों से भी बढ़कर है। देवबंद में मेहमानों का स्वागत हमेशा दिल से होता है, लेकिन किसी मेहमान की झलक पाने के लिए इतनी भीड़ पहले कभी नहीं उमड़ी।
दुनिया के सबसे प्रसिद्ध मदरसों में से एक दारुल उलूम देवबंद में तालिबान सरकार के विदेश मंत्री को लेकर इस दीवानगी की वजह क्या है? क्या भारत और अफगानिस्तान के मजबूत संबंधों ने मुत्तकी को लेकर क्रेज को बढ़ाया? या फिर दारुल उलूम देवबंद और तालिबान के पुराने और मजबूत संपर्कों के कारण इतनी भीड़ जमा हुई? या तालिबान जिस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है, क्या आज दारुल उलूम देवबंद के छात्र उससे प्रभावित होकर बेकाबू हो गए?
अमीर खान मुत्तकी भी अपने स्वागत को देखकर हैरान रह गए। मुत्तकी की एंट्री के बाद वहां पांव रखने की जगह नहीं बची थी। छात्र रेलिंग के सहारे खड़े होकर उनकी झलक पाने के लिए बेताब थे।
व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि छात्र सुरक्षा घेरा तोड़कर मुत्तकी की गाड़ी के पास जाना चाहते थे। पुलिस को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा। मुत्तकी की गाड़ी पर फूल बरसाए गए। भीड़ में मुत्तकी को कार से बाहर निकालने में भी काफी मुश्किल हुई।
मुत्तकी ने कार से निकलकर भीड़ को देखा और हाथ हिलाया। इस दौरान छात्र रेलिंग से लटके हुए थे, जिससे हादसे की आशंका भी बनी रही।
दारुल उलूम के अंदर मुत्तकी के साथ सेल्फी लेने की होड़ लग गई। बड़े-बड़े मौलाना उनके साथ फोटो खिंचवाना चाहते थे। इसके बाद दारुल उलूब की लाइब्रेरी में प्रमुख उलमा ने उनका स्वागत किया।
देवबंद में तालिबान के मंत्री को देखने के लिए आसपास के जिलों से भी 15 से 20 हजार लोग पहुंचे थे। लोग अपना सारा काम छोड़कर देवबंद आ गए थे।
लोगों ने बताया कि देवबंद में तालिबान के मंत्री को लेकर ऐसा जुनून पहले कभी नहीं देखा गया। मुत्तकी भी इस स्वागत से गदगद थे।
मुत्तकी ने दारुल उलूम के प्रशासक मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी से हदीस का सबक पढ़ा और इसे दूसरों को पढ़ाने की इजाजत भी ली। इसे हदीस-ए-सनद कहते हैं, जिसके बाद व्यक्ति मदरसे में ली गई शिक्षा दूसरों को देने का अधिकारी हो जाता है। अब मुत्तकी के नाम के आगे कासमी जुड़ गया है। अब वे मौलाना अमीर खान मुत्तकी कासमी कहलाएंगे।
मुत्तकी के लिए देवबंद दौरा इसलिए भी यादगार है क्योंकि वो यहां से एक डिग्री लेकर जा रहे हैं। तालिबान नेता दारुल उलूम देवबंद का काफी सम्मान करते हैं।
ज्यादातर लोगों का मानना है कि मुत्तकी का देवबंद में स्वागत अभूतपूर्व था क्योंकि तालिबान अमेरिका के खिलाफ जंग लड़ता रहा है। इसलिए उसके विदेश मंत्री भारतीय मुसलमानों के बीच हीरो की हैसियत रखते हैं। कुछ लोगों का कहना था कि भारत और अफगानिस्तान के बीच अच्छे संबंध हैं, इसलिए उनका जोरदार स्वागत किया गया।
दिल्ली में मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री पर पाबंदी को लेकर विवाद भी हुआ। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार से जवाब मांगा कि महिला पत्रकारों का अपमान कैसे होने दिया गया।
विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस से भारत सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। यह अफगानी एंबेसी में हुई थी। तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि महिला पत्रकारों को शामिल न करना अफगान नीति नहीं है, यह घटना अनजाने में हुई।
#DNAWithRahulSinha | योगी के प्रदेश में लाइट, कैमरा और तालिबान , यूपी में तालिबानी मुत्तकी के साथ क्या हुआ?#DNA #Taliban #Deoband #AmirKhanMuttaqi @RahulSinhaTV pic.twitter.com/GPU27Lhk0n
— Zee News (@ZeeNews) October 11, 2025
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