तालिबान विदेश मंत्री का देवबंद दौरा: भाषण रद्द, क्यों उमड़ी भीड़, मदनी का बयान
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अफगानिस्तान के तालिबानी सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भारत दौरे पर हैं. उन्होंने भारत के कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. इसके बाद वह उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित दारुल उलूम पहुंचे.

तय समय से पहले ही उन्हें दारुल उलूम से निकलना पड़ा. उनका भाषण भी रद्द कर दिया गया.

उनके जाने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ गलत हो रहा है. सवाल ये है कि आखिर अफगानिस्तान के विदेश मंत्री सहारनपुर के देवबंद क्यों गए?

सहारनपुर में लोगों की भारी भीड़ उमड़ी. मुत्तकी ने दारुल उलूम देवबंद में नमाज पढ़ी और फिर लोगों से मुलाकात की. उनके सहारनपुर पहुंचने की खबर सुनकर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए थे. उन्होंने लोगों को धन्यवाद दिया.

अपने दौरे को लेकर मुत्तकी ने कहा कि यह बहुत अच्छा सफर है. दारुल उलूम ही नहीं बल्कि पूरे इलाके के लोग यहां आए हैं. उन्होंने कहा कि उनका इतना अच्छा स्वागत किया गया, जिसके लिए वह देवबंद के उलेमा और इलाके के लोगों के प्रति शुक्रगुजार हैं.

मुत्तकी समय से पहले ही देवबंद से निकल गए. बताया जा रहा है कि भीड़ अधिक होने की वजह से उन्होंने यह फैसला लिया. वो लोगों को संबोधित भी करने वाले थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

मुत्तकी से जब यह सवाल पूछा गया कि वह देवबंद क्यों जा रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि देवबंद में जाकर लोग क्या करते हैं, मुलाकात करते हैं, नमाज पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि देवबंद इस्लामी दुनिया का एक बड़ा केंद्र है और अफगानिस्तान से इसका गहरा रिश्ता है. उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान से लोग इस्लामी शिक्षा के लिए भी यहां आते हैं.

दारुल उलूम हक्कानिया पाकिस्तान के पेशावर से लगभग 55 किलोमीटर दूर अकोरा खटक में स्थित है. यहां से तालिबान के कई नेताओं ने शिक्षा ग्रहण की है. इसकी स्थापना 1947 में शेख अब्दुल हक ने की थी, जिन्होंने भारत के देवबंद स्थित दारुल उलूम मदरसे से शिक्षा ली थी. ऐसे में दारुल उलूम मदरसे का अफगानिस्तान के तालिबानी नेताओं के लिए अहम माना जाता है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि आजादी के लिए भारत ने जो किया, उससे अफगानिस्तान ने सीखा है. जिस तरह हमारे पूर्वजों ने दुनिया की बड़ी हुकूमत, ब्रिटेन को यहां शिकस्त दी, उसी तरह तालिबान ने दुनिया की बड़ी ताकतों, रूस और अमेरिका से लोहा लिया और उनको धूल चटवाई है. यही वो ताकत है जो इनको आज हिंदुस्तान में देवबंद तक लेकर आई है.

दारुल उलूम देवबंद दौरे पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि उन्होंने मुत्तकी से अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध के बारे में बात नहीं की. उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी उनकी धार्मिक शिक्षाओं में कोई अंतर नहीं है और सभी यही उपदेश देते हैं कि अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ जो हो रहा है, वह गलत है. मदनी ने यह भी कहा कि कल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह महज इत्तेफाक था कि कोई महिला पत्रकार मौजूद नहीं थी. उन्होंने महिलाओं से न आने के लिए नहीं कहा था, यह दुष्प्रचार है.

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