क्या राहुल गांधी को मिलेगा नोबेल शांति पुरस्कार? कांग्रेस नेता ने मचाई हलचल
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क्या अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के बाद अब राहुल गांधी को भी नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए? यह सवाल अब भारतीय राजनीतिक गलियारों में ज़ोर पकड़ रहा है। वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो को इस वर्ष का प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के बाद कांग्रेस ने यह मांग उठाई है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने राहुल गांधी की तुलना सीधे तौर पर मचाडो से करते हुए कहा है कि दोनों ही अपने-अपने देशों में संविधान और लोकतंत्र को बचाने की एक जैसी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिससे एक नई बहस छिड़ गई है।

राजपूत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राहुल गांधी और मारिया कोरीना मचाडो की तस्वीरें साझा करते हुए इस मांग को हवा दी। उन्होंने लिखा, इस बार नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्ष की नेता को संविधान की रक्षा के लिए मिला है। भारत के विपक्ष के नेता राहुल गांधी देश के संविधान को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने मारिया कोरीना मचाडो को उनके देश में तानाशाही से लोकतंत्र में शांतिपूर्ण बदलाव लाने की कोशिशों और लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए यह सम्मान दिया है।

पिछले साल हुए चुनावों में धांधली के गंभीर आरोपों के बाद उन्हें छिपकर रहना पड़ा था। फिर भी, उन्होंने वेनेजुएला के बिखरे हुए विपक्ष को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी बहादुरी और संघर्ष को दुनिया ने सलाम किया है, जिससे वे लोकतंत्र के रक्षकों के लिए एक मिसाल बन गई हैं।

कांग्रेस पार्टी का कहना है कि राहुल गांधी भी मौजूदा एनडीए सरकार की नीतियों के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। हाल के महीनों में उन्होंने वोट चोरी , बिहार में मतदाता सूची से नाम हटाने, ईवीएम हैकिंग के आरोप और पिछड़े वर्गों के आरक्षण को खत्म करने की साजिश जैसे गंभीर मुद्दे उठाए हैं।

इंडिया गठबंधन के गठन के बाद विपक्ष एकजुट होकर सरकार का सामना कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि देश में बेरोजगारी चरम पर है, अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर हो रही है, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित वर्गों के अधिकारों के साथ समझौता किया जा रहा है और सरकार से असहमति रखने वालों की आवाज को दबाया जा रहा है।

राहुल गांधी बार-बार यह दोहराते रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाएं खतरे में हैं और वे इन संस्थाओं को बचाने के लिए ही संघर्ष कर रहे हैं।

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