तालिबान मंत्री की दिल्ली यात्रा: पुरानी सोच कायम, प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को रखा दूर
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नई दिल्ली में शुक्रवार को अफगानिस्तान के तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को शामिल न करने देने की बात सबसे ज्यादा चर्चा में रही.

लगभग 20 पत्रकारों को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाने की अनुमति मिली, जिनमें एक भी महिला रिपोर्टर मौजूद नहीं थी. सूत्रों के अनुसार, किसे अंदर आने देना है, इसका अंतिम फैसला तालिबान अधिकारियों ने खुद लिया.

भारत की ओर से यह सलाह दी गई थी कि मीडिया में भागीदारी सभी के लिए समान हो, जिसमें महिला पत्रकार भी शामिल हों, लेकिन तालिबान ने इस पर ध्यान नहीं दिया.

अफगानिस्तान में महिलाओं पर पाबंदियां हैं, और दिल्ली में किसी दूसरे देश की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं को रोकने का यह पहला मामला माना जा रहा है. यह स्पष्ट नहीं है कि तालिबान ने भारतीय अधिकारियों को पहले से बताया था या नहीं कि वे महिला पत्रकारों को अंदर नहीं आने देंगे.

गौरतलब है कि तालिबान शासन में अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर भारी पाबंदियां लगी हैं. संयुक्त राष्ट्र (UN) की रिपोर्टों में कहा गया है कि महिलाओं को नौकरी, शिक्षा और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच से वंचित किया जा रहा है, और उन्हें अक्सर घर से बाहर जाने के लिए पुरुष रिश्तेदार की जरूरत होती है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुत्ताकी उर्दू में सवालों के जवाब देते नजर आए. वह जिस कमरे में बैठे थे, वहां दीवार पर बामियान के बुद्ध प्रतिमाओं की पेंटिंग थी, जिन्हें 2001 में तालिबान ने नष्ट कर दिया था.

महिलाओं के अधिकारों पर पूछे गए सवाल के जवाब में मुत्ताकी ने कहा, तालिबान के आने से पहले हर दिन 200 से 400 लोग मारे जाते थे. अब ऐसा नहीं है. हमारे देश में कानून लागू हैं, सबको अपने अधिकार मिले हैं. हर देश की अपनी परंपराएं और नियम होते हैं. अगर लोग खुश नहीं होते, तो देश में शांति नहीं लौटती.

उन्होंने दावा किया कि अब अफगानिस्तान में स्थिरता और एकता है, और लोग सरकार से संतुष्ट हैं.

दिल्ली में हुई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई राष्ट्रीय झंडा नहीं लगाया गया, जिससे यह जाहिर हुआ कि भारत इस पूरे कार्यक्रम को लेकर कूटनीतिक रूप से बेहद सतर्क था. मुत्ताकी के सामने केवल एक छोटा तालिबान झंडा रखा गया था, लेकिन पृष्ठभूमि में कोई झंडा नहीं था. यहां तक कि जब उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की, तब भी नहीं.

क्षेत्रीय स्थिरता में अफगानिस्तान का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है, ऐसा अनिल त्रिगुणायत का कहना है.

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