अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी गुरुवार को भारत आ रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति ने मुत्तक़ी को इस दौरे के लिए विशेष छूट दी है, क्योंकि वे प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची में शामिल हैं.
2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद, यह किसी तालिबानी विदेश मंत्री का पहला भारत दौरा है. हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि मुत्तक़ी की मुलाक़ात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होगी या नहीं. वे भारत में कई कारोबारी समूहों से मिलेंगे.
भारत ने अभी तक अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर कोई जवाब नहीं दिया है. तालिबान सरकार ने मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़े कई फैसले लिए हैं, जैसे कि लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध.
अफ़ग़ानिस्तान के मीडिया में मुत्तक़ी के इस दौरे पर काफ़ी चर्चा हो रही है. अमु टीवी के अनुसार, मुत्तक़ी को उनके नेता हिबातुल्लाह अखुंदज़दा से भारत और रूस दौरे को लेकर विशेष निर्देश मिले थे. मुत्तक़ी को इन दोनों दौरों से पहले अखुंदज़दा ने कंधार बुलाया था.
अमु टीवी ने यह भी लिखा है कि मुत्तक़ी के हाल के महीनों में कई पूर्वनियोजित पाकिस्तान दौरे रद्द हुए हैं. भारत हमेशा से गणतांत्रिक अफ़ग़ानिस्तान का समर्थक रहा है और तालिबान से संबंधों को लेकर सतर्क रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि भारत तालिबान के साथ दिलचस्पी सुरक्षा कारणों और पाकिस्तान के साथ प्रतिद्वंद्विता के कारण दिखा रहा है.
मई में मुत्तक़ी की बात भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से हुई थी. इसके अलावा, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी की इसी साल जनवरी में मुत्तक़ी से मुलाक़ात हुई थी. हाल के महीनों में तालिबान के कई अधिकारियों का भारत दौरा हुआ है.
तालिबान के दवाई और खाद्य मंत्री हमदुल्लाह ज़ाहिद सितंबर में भारत गए थे. सितंबर में जब अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप आया था, तब भारत ने राहत सामग्री भेजी थी. बाद में ईरान के चाबहार पोर्ट के ज़रिए भी अफ़ग़ानिस्तान मदद पहुँची थी.
टोलो न्यूज़ के अनुसार, मुत्तक़ी के भारत दौरे में तालिबान को मान्यता देना अहम मुद्दा है. विश्लेषकों का मानना है कि भारत इस तरह के किसी भी निर्णय पर पहुँचने से पहले अन्य मुद्दों को देख-समझ रहा है.
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विश्लेषक वाहिद फ़ाक़िरी का कहना है कि भारत और अफ़ग़ानिस्तान के संबंध सुधर रहे हैं और इसमें काफ़ी तेज़ी आएगी. अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के संबंध ख़राब हो रहे हैं और भारत इस स्थिति का फ़ायदा उठा रहा है.
रूस दुनिया का पहला देश है जिसने तालिबान को मान्यता दी है. काबुल में भारतीय दूतावास के विस्तार पर भी बात हो सकती है. दोनों देश पूर्णकालिक राजदूत की नियुक्ति पर सहमत हो सकते हैं.
मंगलवार को रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोफ़ की ओर से आयोजित मॉस्को फॉर्मेट कंसल्टेशंन्स में 10 देश शामिल हुए थे.
अफ़ग़ानिस्तान के कई लोग तालिबान के प्रति भारत की बढ़ती दिलचस्पी का विरोध भी कर रहे हैं. अफ़ग़ानिस्तान के पत्रकार हबीब ख़ान ने कहा है कि तालिबान के अधिकारियों की मेहमाननवाज़ी अफ़ग़ान राष्ट्र के साथ धोखा है.
#WATCH | Delhi | On Afghanistan’s Foreign Minister Amir Khan Muttaqi s visit to India, MEA Official Spokesperson Randhir Jaiswal says, All of you would have seen the exemption that has been granted by the UN Security Council Committee for the travel of Afghanistan’s Foreign… pic.twitter.com/EOGdPD4hfO
— ANI (@ANI) October 3, 2025
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