जनसेवा के 25 वर्ष: संघर्ष, संकल्प और सफलता की कहानी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साझा करते हुए बताया कि अक्टूबर 2001 में उन्होंने पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने देशवासियों को धन्यवाद दिया और कहा कि जनता के आशीर्वाद से वे अब सरकार के प्रमुख के तौर पर 25वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं।

गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के समय राज्य भूकंप, चक्रवात, सूखा और राजनीतिक अस्थिरता जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा था। पार्टी ने ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में उन पर भरोसा जताया। इन आपदाओं ने लोगों की सेवा करने की उनकी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मां की सीख को याद करते हुए बताया कि उन्होंने गरीबों के लिए काम करने और कभी रिश्वत न लेने की बात कही थी। उन्होंने जनता से वादा किया कि वे जो भी करेंगे, सद्भावना और अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की सेवा की भावना से प्रेरित होकर करेंगे।

2001 में, गुजरात के बारे में आम धारणा थी कि राज्य अब उभर नहीं पाएगा। किसान बिजली और पानी की कमी से परेशान थे, उद्योग ठप थे और कृषि संकट में थी। सामूहिक प्रयासों से गुजरात आज सुशासन का प्रतीक बन चुका है। सूखे से प्रभावित राज्य होने के बावजूद गुजरात को कृषि के क्षेत्र में अग्रणी बनाया गया। व्यापारिक संस्कृति को औद्योगिक और विनिर्माण शक्ति में बदला गया। साथ ही, सामाजिक और भौतिक अवसंरचना को भी मजबूत किया गया।

2013 में उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया। उस समय देश में भ्रष्टाचार, नीतिगत जड़ता और भरोसे का संकट था। पिछली सरकार भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की मिसाल बन चुकी थी, और भारत को वैश्विक मंच पर कमजोर माना जा रहा था। देश की जनता ने गठबंधन को पूर्ण बहुमत दिया और तीन दशक बाद किसी पार्टी को स्पष्ट जनादेश मिला।

पिछले 11 वर्षों में देश ने कई ऐतिहासिक बदलाव देखे हैं। नारी शक्ति, युवा शक्ति और अन्नदाता किसानों की भूमिका सराहनीय रही है। 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है, और भारत अब वैश्विक अर्थव्यवस्था में चमकता सितारा है। देश में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं हैं। गर्व से कहो, ये स्वदेशी है के नारे के साथ आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को भी दोहराया गया।

देश की सेवा करना उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान है और यह जिम्मेदारी उन्हें कृतज्ञता और उद्देश्य की भावना से भर देती है। संविधान के मूल्यों को मार्गदर्शक मानते हुए वे विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए और अधिक मेहनत करेंगे।

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