पीएम मोदी की स्वीट सर्जिकल स्ट्राइक : क्या विपक्षी नेता भी हो रहे हैं प्रभावित?
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बिहार की राजनीति में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्णिया एयरपोर्ट के उद्घाटन कार्यक्रम में निर्दलीय सांसद पप्पू यादव को सार्वजनिक मंच पर आमंत्रित किया. यह घटना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ समय पहले, उसी पप्पू यादव को कांग्रेस और आरजेडी की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान मंच से हटा दिया गया था.

इस कार्यक्रम में, पप्पू यादव को न केवल मंच पर जगह मिली, बल्कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के नजदीक आने और उनसे बात करने का मौका भी मिला. इस बातचीत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें पप्पू यादव प्रधानमंत्री के कान में कुछ कहते हुए और प्रधानमंत्री को हंसते हुए देखा जा सकता है.

इस घटना ने बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है. कुछ लोगों का मानना है कि यह प्रधानमंत्री मोदी की विपक्षी नेताओं के दिल जीतने की रणनीति का हिस्सा है. यह घटनाक्रम उस समय और भी दिलचस्प हो जाता है जब इसकी तुलना कांग्रेस नेता शशि थरूर के प्रधानमंत्री मोदी के साथ संबंधों से की जाती है.

थरूर, जो अक्सर भाजपा की नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं, को भी प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक रूप से विद्वान और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करने वाला बताया था. इस घटना के बाद थरूर को अपने ही दल में असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था.

जम्मू-कश्मीर में भी प्रधानमंत्री मोदी ने इसी तरह की रणनीति अपनाई है. उमर अब्दुल्ला, जो भाजपा के कट्टर आलोचक रहे हैं, के परिवार की परंपरा और योगदान को प्रधानमंत्री ने याद करते हुए सम्मानजनक शब्द कहे. गुलाम नबी आजाद के लिए तो संसद में दिया गया प्रधानमंत्री का भाषण ऐतिहासिक माना जाता है.

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ भी प्रधानमंत्री मोदी के सौहार्दपूर्ण संबंध हैं. चुनावी प्रतिद्वंद्विता के बावजूद, प्रधानमंत्री ने उन्हें कई बार अनुभवी और ईमानदार प्रशासक बताया है.

हाल ही में, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी सांसदों को विदेशों में भारत का पक्ष रखने के लिए भेजकर एक और अप्रत्याशित कदम उठाया. इससे न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की राजनीतिक जमात की एकजुटता का संदेश गया, बल्कि विपक्ष के भीतर भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई.

इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री मोदी न केवल विरोधी पर हमला करने तक सीमित रहते हैं, बल्कि अवसर देखकर उसे गले लगाने की भी कला जानते हैं. यह रणनीति विपक्ष को उलझा देती है और उनकी पार्टी के भीतर अविश्वास पैदा कर सकती है. यह भाजपा की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है: विपक्ष को भीतर से कमजोर करना.

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