प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार दौरे के बीच मखाना बोर्ड का शुभारंभ किया, जिसकी घोषणा केंद्र सरकार ने पहले ही कर दी थी. उम्मीद है कि बोर्ड अपने उद्देश्यों पर खरा उतरेगा और बिहार में मखाना उत्पादन तेजी से बढ़ेगा.
बिहार सदियों से मखाना की खेती करता आ रहा है, लेकिन हाल ही में जीआई टैग मिलने के बाद पूरे देश का ध्यान इस ओर गया है. मखाना बोर्ड के शुभारंभ के अवसर पर आइए जानते हैं कि बिहार मखाना उत्पादन में कैसे आगे बढ़ा, किन जिलों में यह पैदा होता है, और बिहार का मखाना दुनिया के किन देशों में निर्यात किया जाता है.
बिहार आज मखाने की राजधानी के रूप में देश-दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है. धार्मिक अनुष्ठानों, व्रत-उपवास और मिठाइयों में इस्तेमाल होने वाला मखाना अब वैश्विक सुपरफूड बन गया है.
बिहार में मखाने की खेती की परंपरा सदियों पुरानी है. इसे तालाबों और स्थिर जलाशयों में किया जाता है. मखाने को निकालना मुश्किल है, क्योंकि किसान पानी में उतरकर गाद से भरे बीजों को इकट्ठा करते हैं.
मिथिला और कोसी क्षेत्र में तालाबों की भरमार है, जो मखाने की फसल के लिए अनुकूल हैं. यहां के किसान पीढ़ियों से मखाना उत्पादन की तकनीक को आगे बढ़ा रहे हैं. 2022 में मिथिला मखाने को भौगोलिक संकेतक (GI Tag) मिला, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मजबूत हुई.
बिहार के उत्तर और पूर्वी हिस्से मखाना उत्पादन के सबसे बड़े केंद्र हैं. दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, सुपौल, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, सहरसा, मधेपुरा, किशनगंज प्रमुख जिले हैं. अनुमान है कि बिहार का 90 प्रतिशत मखाना उत्पादन इन्हीं जिलों से आता है.
भारत में सालाना लगभग 120-130 हजार मीट्रिक टन मखाने का उत्पादन होता है. इसमें से 70-80 प्रतिशत उत्पादन बिहार से आता है, जिससे बिहार को ग्लोबल मखाना हब कहा जाने लगा है.
बिहार का मखाना भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन, सिंगापुर, दुबई और कनाडा जैसे देशों में निर्यात किया जाता है. 2023-24 में भारत ने लगभग 350-400 करोड़ रुपए का मखाना निर्यात किया, जो पिछले वर्षों से दोगुना है.
मखाना बोर्ड किसानों को प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीक देगा, प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना करेगा, मखाने के मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देगा, वैश्विक स्तर पर ब्रांडिंग और निर्यात को बढ़ावा देगा, और अनुसंधान के माध्यम से उपज व गुणवत्ता में सुधार करेगा.
मखाना उत्पादन में श्रमसाध्य प्रक्रिया, बाजार तंत्र की कमी, वैज्ञानिक अनुसंधान की जरूरत और लॉजिस्टिक समस्याएं चुनौतियां हैं.
बिहार में मखाना खेती को संरक्षित करके भारत इसे विश्वस्तरीय ब्रांड बना सकता है. मिथिला के तालाबों में मखाना उत्पादन को पर्यटन से जोड़ने, स्टार्टअप और इनोवेशन को बढ़ावा देने और प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना से लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा.
प्रधानमंत्री द्वारा मखाना बोर्ड का उद्घाटन किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को आगे बढ़ाएगा और बिहार को वैश्विक कृषि व्यापार मानचित्र पर स्थायी स्थान दिलाएगा.
*बिहार के मेरे किसान भाई-बहनों के लिए मखाने की खेती आय का एक महत्वपूर्ण जरिया है। राष्ट्रीय मखाना बोर्ड इस दिशा में बहुत मददगार साबित होने वाला है। pic.twitter.com/xO3stcVZID
— Narendra Modi (@narendramodi) September 15, 2025
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