सीएम कोमा में हैं, सरकार नहीं चल रही - तेजप्रताप का निशाना, क्यों बार-बार उठ रहा नीतीश के स्वास्थ्य का मुद्दा
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बिहार की राजनीति इन दिनों गरमाई हुई है। जाले से बीजेपी विधायक और नीतीश कैबिनेट के मंत्री जीवेश मिश्रा पर एक पत्रकार की पिटाई का आरोप लगने के बाद विपक्ष ने इसे एक बड़ा मुद्दा बना लिया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव खुद पीड़ित को लेकर दरभंगा थाने पहुंचे और मंत्री पर एफआईआर दर्ज करवाई।

इसी बीच, पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव ने नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर चौंकाने वाला बयान देकर माहौल को और भी गर्म कर दिया है। मीडिया से बातचीत में तेजप्रताप ने कहा, यह जेडीयू-भाजपा का गुंडा राज है। मुख्यमंत्री अब कोमा में जा चुके हैं और उनसे सरकार नहीं चल रही है। उनके इस बयान के बाद एक बार फिर सीएम नीतीश के स्वास्थ्य को लेकर विपक्षी हमले तेज हो गए हैं। तेजस्वी और राहुल गांधी भी कई बार नीतीश के स्वास्थ्य को लेकर तंज कस चुके हैं।

पिछले कुछ महीनों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। कभी उनके गिरने की घटनाओं का हवाला दिया जाता है, तो कभी सार्वजनिक मंच पर उनकी थकान या भूलने की आदत को मुद्दा बनाया जाता है। तेजप्रताप का कोमा वाला बयान इसी कड़ी को और आगे बढ़ाता है।

हाल ही में राजद सांसद सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह चिकित्सकीय रूप से तो जिंदा हैं , लेकिन दिमागी रूप से मृत हो चुके हैं। नीतीश कुमार 74 साल के हैं। कई सार्वजनिक मौकों पर नीतीश कुमार के व्यवहार के बाद विपक्ष उनके स्वास्थ्य को लेकर निशाना साध रहा है। हालांकि नीतीश के बेटे निशांत कुमार का कहना है कि उनके पिता बिल्कुल ठीक हैं।

विपक्ष बार-बार यह संदेश देना चाहता है कि नीतीश अब बिहार की बागडोर संभालने में सक्षम नहीं हैं। इससे जनता के मन में विश्वास की कमी पैदा हो सकती है। सीएम नीतीश के स्वास्थ्य को टारगेट कर विपक्ष यह दिखाना चाहता है कि एनडीए सरकार का चेहरा ही कमजोर हो चुका है। यह NDA की एकजुटता पर भी असर डाल सकता है।

स्वास्थ्य के मुद्दे को उठाकर विपक्ष जनता का ध्यान बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों से जोड़ते हुए कह सकता है कि जो मुख्यमंत्री खुद स्वस्थ नहीं, वह राज्य को कैसे संभालेंगे। नीतीश लंबे समय से सुधारक और अनुभवी नेता की छवि के साथ जनता में सहानुभूति पाते रहे हैं। स्वास्थ्य पर हमले से इस छवि को कमजोर करने की कोशिश हो रही है।

जैसे ही नीतीश पर भरोसा कमजोर होगा, विपक्षी नेता खासकर तेजस्वी यादव खुद को युवा और ऊर्जावान विकल्प के तौर पर पेश कर सकते हैं। इससे चुनावी समीकरण बदल सकता है।

तेजप्रताप यादव का नीतीश कोमा में हैं वाला बयान सिर्फ एक विवादित टिप्पणी नहीं है, बल्कि आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। नीतीश कुमार की छवि और स्वास्थ्य दोनों को निशाने पर रखकर विपक्ष मतदाताओं को यह जताना चाहता है कि अब बदलाव का वक्त आ गया है।

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