तंबू में सुप्रीम कोर्ट: नेपाल में Gen-Z के विरोध के बाद हालात बिगड़े, सामने आई तस्वीर
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नेपाल में सोशल मीडिया बैन के विरोध में उतरे Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने भारी हंगामा मचाया। युवाओं के इस आंदोलन में कई सरकारी इमारतों में आग लगा दी गई। सुप्रीम कोर्ट से लेकर संसद भवन तक को निशाना बनाया गया। कई मंत्रियों और पूर्व प्रधानमंत्रियों के घरों पर भी हमले हुए।

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, काठमांडू के मेयर बालेन शाह और आर्मी चीफ की अपील के बाद प्रदर्शनकारी शांत हुए। इसके बाद सुशीला कार्की को नेपाल का अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।

इस बीच, एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। रिपोर्टों और स्थानीय मीडिया के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों ने सेवाएं जारी रखने के लिए अदालत परिसर में टेंट लगा दिए हैं। हालांकि, सुनवाई अभी तक फिर से शुरू नहीं हुई है।

10 सितंबर को साझा किए गए एक वीडियो में, प्रदर्शनों के हिंसक होने के बाद सुप्रीम कोर्ट की इमारत जलती हुई दिखाई दे रही है। आग लगने से पूरी इमारत काली हो गई है।

नेपाल में Gen-Z के विरोध प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 72 हो गई थी। मृतकों में 59 प्रदर्शनकारी, 3 पुलिस अधिकारी और 10 कैदी शामिल थे, जो आंदोलन में हिंसा के दौरान भागने की कोशिश कर रहे थे।

सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला। उन्होंने घोषणा की कि घायलों के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी। हिंसा में मारे गए लोगों को शहीदों का दर्जा मिलेगा और उनके परिजनों को 10 लाख नेपाली रुपये मुआवजे के तौर पर दिए जाएंगे। काठमांडू से अन्य जिलों में शवों के स्थानांतरण की सुविधा भी सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी।

सुशीला कार्की ने अपनी अंतरिम कैबिनेट का विस्तार करते हुए 3 नए मंत्रियों को शामिल किया। इन मंत्रियों ने राष्ट्रपति भवन सीतल निवास में पद और गोपनीयता की शपथ ली। कुलमान घिसिंग को ऊर्जा, शहरी विकास और फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालय का प्रमुख नियुक्त किया गया है। ओम प्रकाश अर्याल कानून और गृह मामलों के मंत्रालय का कार्यभार संभालेंगे, जबकि पूर्व वित्त सचिव रमेश्वर खनाल वित्त मंत्रालय की देखरेख करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई बाधित होने के कारण याचिकाकर्ताओं को आगे की तारीखें दी गई हैं। आगजनी की घटनाओं में कोर्ट के दस्तावेज या तो जल गए या खो गए हैं। नेपाल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बिजय प्रसाद मिश्रा ने बताया कि ऐसे हालात में कोर्ट पूरी तरह से संचालित नहीं हो सकती है। धीरे-धीरे इसे पटरी पर लाने का प्रयास किया जा रहा है।

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