हम कभी बंट गए थे, लेकिन वह भी मिला लेंगे : मोहन भागवत ने ब्रिटेन को दिखाया आईना
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इंदौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के पुराने कथन को याद दिलाते हुए कहा कि चर्चिल ने भविष्यवाणी की थी कि भारत स्वतंत्रता के बाद एकजुट नहीं रह पाएगा और बंट जाएगा।

भागवत ने कहा, चर्चिल ने कहा था कि तुम टिकोगे नहीं, स्वतंत्र हो जाओगे तो बँट जाओगे; जो कि नहीं हुआ। अब खुद इंग्लैंड बँटने की स्थिति में आ रहा है, लेकिन हम नहीं बँटेंगे, बढ़ेंगे आगे। हम कभी बंट गए थे, लेकिन वह भी हम मिला लेंगे फिर से।

यह बयान मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल की पुस्तक परिक्रमा कृपा सार के विमोचन के अवसर पर दिया गया। भागवत ने भारत के विकास और भविष्य के बारे में बात करते हुए यह टिप्पणी की।

भागवत ने कहा कि ज्ञान, कर्म और भक्ति की संतुलित त्रिवेणी के पारंपरिक दर्शन पर श्रद्धा रखने के कारण, भारत सभी भविष्यवाणियों को झूठा साबित करते हुए आगे बढ़ रहा है। उन्होंने यह बात ऐसे समय में कही है जब भारत की आर्थिक वृद्धि दर अप्रैल-जून तिमाही में 7.80 प्रतिशत रही है, जो उम्मीद से बेहतर है।

उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिकों के पूर्वजों ने ज्ञान, कर्म और भक्ति के संतुलित मार्ग दिखाए हैं। भारत आज भी इस दर्शन का पालन करता है, इसलिए वह विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ रहा है।

संघ प्रमुख ने कहा कि भारत 3000 वर्षों तक दुनिया का सिरमौर था और उस समय दुनिया में कोई कलह नहीं थी। उन्होंने कहा कि भारत में गौ माता, नदियों और पेड़-पौधों की पूजा के माध्यम से प्रकृति की आराधना की जाती है।

भागवत ने कहा कि आज की दुनिया प्रकृति से इस नाते को तरस रही है। पिछले 300-350 वर्षों से दुनिया को बताया जा रहा है कि सब लोग अलग-अलग हैं और जो बलवान है, वही जिएगा। उन्हें बताया जा रहा है कि अगर वे किसी के पेट पर पैर रखकर या किसी का गला काट कर भी बलवान बनते हैं, तो कोई बात नहीं है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय संस्कृति तेरे-मेरे के भेद से ऊपर उठने का संदेश देती है और सभी मनुष्यों में परस्पर आत्मीयता और अपनापन आवश्यक है।

भागवत ने कहा कि मनुष्य के लिए ज्ञान और कर्म दोनों मार्ग जरूरी हैं, लेकिन निष्क्रिय ज्ञानी किसी काम के नहीं होते। उन्होंने कहा कि ज्ञानी लोगों के निष्क्रिय होने के कारण ही सब गड़बड़ होती है और अगर कर्म करने वाले किसी व्यक्ति को ज्ञान नहीं है, तो यह कर्म पागलों का कर्म हो जाता है।

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव और उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्य भी उपस्थित थे। यह पुस्तक मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल की नर्मदा परिक्रमा यात्राओं से प्रेरित है। भागवत ने कहा कि नर्मदा नदी की परिक्रमा सर्वत्र श्रद्धा का विषय है और भारत श्रद्धा का देश है।

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