नेपाल इन दिनों उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. जेन जी क्रांति के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा. देश में हिंसा और अराजकता का माहौल है.
संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन तक को आग के हवाले कर दिया गया. सेना ने देश की कमान संभाली है, लेकिन सेना प्रमुख की दो तस्वीरें इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि नेपाल फिर से हिंदू राष्ट्र बन सकता है.
पहली तस्वीर में सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगदेल देश के नाम संदेश जारी करते हुए दिखाई दे रहे हैं. उनके पीछे दीवार पर राजा पृथ्वी नारायण शाह की पेंटिंग लगी है. राजा पृथ्वी नारायण शाह 18वीं सदी के सम्राट थे और उन्होंने नेपाल का एकीकरण किया था.
इस तस्वीर के बाद सोशल मीडिया पर यह सवाल उठने लगा कि क्या सेना प्रमुख राजा की तस्वीर के जरिए कोई संदेश देना चाहते हैं. क्या नेपाल में राजशाही लौटने वाली है? क्या नेपाल एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र बनने वाला है?
दूसरी तस्वीर में सेना प्रमुख दुर्गा परसाई के साथ बैठे हुए हैं. दुर्गा परसाई नेपाल के राइट विंग नेता हैं और लंबे समय से नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं.
मार्च के महीने में परसाई ने राष्ट्र, राष्ट्रीयता, धर्म और संस्कृति के लिए जन आंदोलन के तहत एक विशाल राजशाही समर्थक रैली का नेतृत्व किया था. यह प्रदर्शन हिंसक हो गया था और पुलिस से झड़प में दो लोगों की मौत हो गई थी.
तख्तापलट के बाद परसाई की तस्वीर सेना प्रमुख के साथ सामने आने से यह संकेत मिल रहा है कि नेपाल में हिंदू राष्ट्र की वापसी हो सकती है.
हालांकि, नेपाल में लोकतंत्र का समर्थन करने वाले लोग भी बड़ी संख्या में हैं. उनका मानना है कि लोकतंत्र में देश का विकास हुआ है और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है. लेकिन राजशाही के समर्थक बेरोजगारी और महंगाई का हवाला देते हैं.
राजशाही के दौरान नेपाल में बेरोजगारी दर 8-10 फीसदी थी, जो आज 12-14 फीसदी है. महंगाई दर भी 4-6 फीसदी से बढ़कर 6 फीसदी से ज्यादा हो गई है.
राजशाही के समर्थक यह तर्क भी देते हैं कि नेपाल 240 वर्षों तक शाह वंश के अधीन रहा. जबकि लोकतंत्र के बीते 17 वर्षों में 13 प्रधानमंत्री बदले जा चुके हैं.
नेपाल में आगे क्या होने वाला है, यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है. देश लोकतंत्र की अस्थिरता और राजशाही की वापसी की मांग के बीच झूल रहा है.
इस बीच, नेपाल के सेना प्रमुख के चीन दौरे की भी चर्चा है. ओली सरकार और चीन की जिनपिंग सरकार के बीच नजदीकियां थीं. ओली ने सत्ता में वापसी करने के बाद चीन के हितों को देखते हुए BRI प्रोजेक्ट से जुड़ी योजनाओं को दोबारा शुरू किया था.
वर्ष 2025 के आंकड़ों के मुताबिक, नेपाल पर चीन का कर्ज तकरीबन 10 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है, जो नेपाल की जीडीपी का 25 प्रतिशत हिस्सा है.
ऐसे में अगर चीन ने नेपाल से अपना कर्ज वापस मांगा, तो नेपाल में न सिर्फ BRI से जुड़ी योजनाएं ठप पड़ सकती हैं, बल्कि विदेशी कर्ज से जूझते नेपाल के लिए आर्थिक संकट भी पैदा हो सकता है.
नेपाल की अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि नेपाली सेना के लिए भी चीन का सहयोग बेहद जरूरी हो गया है. वर्ष 2005 से लेकर आज तक चीन से नेपाल को सैन्य सहायता के रूप में तकरीबन 44 मिलियन डॉलर की मदद मिल चुकी है.
#DNAWithRahulSinha | क्या नेपाल.. हिंदू राष्ट्र बनने वाला है?
— Zee News (@ZeeNews) September 11, 2025
पहले तख्तापलट..अब आपस में उठा-पटक #DNA #Nepal #NepalGenZProtest #GenZProtest #NepalPolitics | @RahulSinhaTV pic.twitter.com/oq5KwfAp1o
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