नेपाल में आंदोलन क्यों? Gen-Z नेताओं ने बताई असली वजह!
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काठमांडू घाटी के तीन जिलों - काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर में सेना ने निषेधाज्ञा बढ़ा दी है, लेकिन कुछ घंटों के लिए लोगों को आवाजाही की अनुमति दी गई है। हिंसक प्रदर्शनों के बाद देश में धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है। सेना सड़कों पर पहरा दे रही है, जबकि देश के बाकी हिस्सों में शांति बरकरार है।

Gen-Z नेताओं ने बताया कि उन्होंने यह आंदोलन क्यों शुरू किया। अनिल बनिया ने कहा कि वे बुजुर्ग नेताओं से तंग आ चुके थे । उन्होंने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, लेकिन कुछ राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने आगजनी और तोड़फोड़ की।

एक ऑनलाइन सर्वे के ज़रिए Gen-Z नेताओं ने सुशीला कार्की को वोट दिया। उनका कहना है कि वे संविधान बदलने की कोशिश नहीं कर रहे, बल्कि उसमें ज़रूरी बदलाव करने की कोशिश कर रहे हैं। अगले छह महीने में वे चुनाव लड़ेंगे।

Gen-Z लीडर दिवाकर दंगल ने स्वीकार किया कि वे तुरंत नेतृत्व संभालने के काबिल नहीं हैं और उन्हें परिपक्व होने में समय लगेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें तोड़ने की कोशिशें हो रही हैं और पार्टी के कुछ सदस्यों को गलतफहमी है कि वे घुसपैठ करके फूट डाल सकते हैं। दंगल ने पुराने नेताओं से कहा कि यह खून-खराबा उनकी वजह से है और अगर लोग खून-खराबा शुरू करेंगे तो वे बच नहीं पाएंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे संसद भंग करना चाहते हैं, संविधान रद्द नहीं।

Gen-Z नेता जुनल गदल का मानना है कि सुशीला कार्की (नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश) देश के संरक्षक के रूप में सर्वश्रेष्ठ विकल्प हैं। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की, काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह या बिजली बोर्ड के पूर्व सीईओ कुलमन घीसिंग में से किसे अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए Gen-Z प्रदर्शनकारियों द्वारा चुना जाएगा।

सेना द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, काठमांडू घाटी में सुबह 6 बजे से कर्फ्यू हटा लिया गया है, लेकिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक प्रतिबंधात्मक आदेश लागू रहेंगे। शाम 5 बजे से 7 बजे तक ढील के बाद, शुक्रवार शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक रात्रि कर्फ्यू लागू रहेगा।

सेना ने चेतावनी दी है कि किसी भी तरह के विरोध-प्रदर्शन, तोड़फोड़, आगजनी या व्यक्तियों-संपत्ति पर हमले को आपराधिक कृत्य माना जाएगा और उससे सख्ती से निपटा जाएगा।

काठमांडू स्थित त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (टीआईए) पर हिंसक विरोध प्रदर्शनों के कारण बंद होने के 24 घंटे बाद बुधवार शाम से सेवाएं फिर से शुरू हो गईं।

स्थानीय मीडिया के अनुसार, रामेछाप जिला जेल से कैदियों को भागने से रोकने के लिए सेना द्वारा की गई गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई और 12 से अधिक कैदी घायल हो गए।

स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्रालय के अनुसार, रविवार शाम से शुरू हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है, जबकि 1,061 लोग घायल हुए हैं। घायलों में से 719 को छुट्टी दे दी गई है, जबकि 274 को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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