विभाजन के बाद भी करोड़ों मुसलमान भारत में क्यों? एक शो बना विवाद का केंद्र
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अमिताभ ठाकुर को बधाई, जिन्होंने अंजना ओम कश्यप के शो के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की। ब्लैक एंड व्हाइट शो के एक एपिसोड में उठाए गए सवाल ने विवाद खड़ा कर दिया है।

पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि यह कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता के खिलाफ है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया, लेकिन कोर्ट ने संज्ञान लिया। मामला अब देशभर में बहस का विषय बन गया है।

14 अगस्त को अंजना ओम कश्यप ने अपने शो ब्लैक एंड व्हाइट में सवाल उठाया- 4 करोड़ मुसलमानों में से सिर्फ़ 96 लाख पाकिस्तान गए! भारत विभाजन का मक़सद पूरा क्यों नहीं हुआ? यह सवाल तुरंत ही बहस का कारण बन गया।

आलोचकों का कहना था कि इस तरह के प्रश्न सीधे तौर पर भारत में रह रहे करोड़ों मुसलमानों की निष्ठा पर सवाल खड़ा करते हैं।

अमिताभ ठाकुर ने खुलकर कहा कि यह शो राष्ट्रीय एकता के खिलाफ है। उन्होंने लखनऊ के गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

इसके बाद अमिताभ ठाकुर ने निजी शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने तर्क दिया कि यह सवाल न सिर्फ मुसलमानों के अधिकारों पर हमला है, बल्कि समाज को बांटने का प्रयास भी है।

लखनऊ की अदालत ने उनकी शिकायत को संज्ञान में लिया और अंजना ओम कश्यप के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया।

यह मुद्दा उठा कि मीडिया की जिम्मेदारी केवल सवाल पूछने तक सीमित नहीं है। जब सवाल समाज में विभाजन या नफरत की भावना को बढ़ावा देने लगें, तब उन्हें चुनौती देना भी जरूरी हो जाता है।

अंजना का सवाल जनता की भावनाओं को भड़काने वाला है। विभाजन के समय मुसलमानों के भारत में रहने के निर्णय पर सवाल उठाना उनके संवैधानिक अधिकारों का अपमान है।

टीवी चैनलों पर अक्सर ऐसे डिबेट शो होते हैं जो विवाद को हवा देते हैं। इस मामले में भी यह सवाल उठ रहा है कि क्या टीआरपी के लिए संवेदनशील मुद्दों को गलत ढंग से पेश किया जा रहा है।

लखनऊ कोर्ट ने इस मामले पर कार्रवाई का आदेश देकर इसे और गंभीर बना दिया है। अदालत को इस विवाद से अवगत कराकर ठाकुर ने कानूनी रास्ता अपनाया है। अब यह देखना बाकी है कि आने वाले दिनों में जांच और कार्यवाही किस दिशा में आगे बढ़ती है।

सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेजी से वायरल हो गया। कई लोग कह रहे हैं कि ठाकुर ने अकेले खड़े होकर इस लड़ाई की शुरुआत की। वहीं, कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला भी मान रहे हैं।

राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी। कुछ नेताओं ने ठाकुर का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इसे मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बताया।

ठाकुर का कदम सिर्फ एक शिकायत नहीं, बल्कि एक संदेश भी है। यह संदेश है कि समाज को बांटने वाले सवालों पर चुप नहीं रहा जा सकता।

भारत जैसे विविधता वाले देश में मीडिया की भूमिका और भी अहम हो जाती है। यह मामला हमें याद दिलाता है कि सवाल पूछने का हक सभी को है, लेकिन सवालों का तरीका और मकसद भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

ठाकुर ने दिखाया कि किसी भी नागरिक को समाज की एकता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए।

अंजना ओम कश्यप का शो अब सिर्फ टीवी बहस तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अदालत और जनता दोनों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है। आने वाले समय में यह केस यह तय कर सकता है कि मीडिया और समाज की सीमाएं कहां खिंचनी चाहिए।

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