नेपाल में क्यों पढ़ने जाते हैं भारतीय छात्र? जानिए वहां की शिक्षा व्यवस्था का हाल
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नेपाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है। युवाओं ने सोशल मीडिया बैन के साथ-साथ बढ़ती बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आवाज उठाई है। इस स्थिति को देखते हुए भारत ने अपने नागरिकों और छात्रों के लिए एडवाइजरी जारी की है और उन्हें सावधानी बरतने की सलाह दी है।

भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में 2100 से अधिक भारतीय छात्र नेपाल में पढ़ाई कर रहे हैं। अच्छी बात यह है कि हालिया प्रदर्शनों में किसी भी भारतीय छात्र के घायल होने की कोई खबर नहीं है।

आखिर क्या वजह है कि इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र नेपाल में पढ़ने जाते हैं? मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नेपाल में भारतीय छात्र मुख्य रूप से प्रोफेशनल कोर्सेज के लिए जाते हैं। इसका कारण है कि नेपाल में कई कोर्स में भारतीय छात्रों के लिए प्रवेश प्रक्रिया अपेक्षाकृत आसान है और खर्च भी भारत के मुकाबले कम है।

भारत से नेपाल जाने वाले अधिकांश छात्र मेडिकल कोर्सेज में दाखिला लेते हैं। काठमांडू का इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन, बीपी कोइराला इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज, काठमांडू मेडिकल कॉलेज और मणिपाल कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज भारतीय छात्रों के बीच एमबीबीएस के लिए सबसे लोकप्रिय संस्थान हैं। यहां भारतीय छात्रों को भारत से अपेक्षाकृत कम खर्च पर एमबीबीएस की पढ़ाई करने का मौका मिलता है और यहां के कई कोर्सेज MCI/NMC द्वारा मान्यता प्राप्त भी हैं।

कुछ भारतीय छात्र नेपाल में इंजीनियरिंग, बिज़नेस मैनेजमेंट और आईटी से जुड़े कोर्स भी करते हैं। काठमांडू विश्वविद्यालय, त्रिभुवन विश्वविद्यालय, और नेपाल इंजीनियरिंग कॉलेज नेपाल के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेजों में गिने जाते हैं। भारत की तुलना में नेपाल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की फीस किफायती है, जो इसे भारतीय छात्रों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती है।

इसके अलावा, नेपाल की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को देखते हुए कुछ छात्र बौद्ध अध्ययन, योग, आयुर्वेद और संस्कृत से जुड़े कोर्स भी करते हैं।

नेपाल में हुई हिंसा का छात्रों और उनकी शिक्षा पर निश्चित रूप से नकारात्मक असर पड़ेगा। ऐसे हालात में शिक्षा और भविष्य की दिशा को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। शैक्षिक गतिविधियां बाधित होंगी, क्योंकि कॉलेज और स्कूल बंद रहेंगे। छात्रों के लिए तनाव और असुरक्षा की स्थिति में पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होगा। शिक्षा में देरी होने से उच्च शिक्षा या नौकरियों के अवसर भी प्रभावित होंगे।

नेपाल का एजुकेशन सिस्टम भारत के एजुकेशन सिस्टम से काफी मिलता-जुलता है। प्रारंभिक शिक्षा 4 से 5 वर्ष की आयु में शुरू हो जाती है, जबकि प्राथमिक शिक्षा 6 वर्ष की आयु में शुरू होती है। कक्षा 10 में SEE परीक्षा होती है, जो भारत में बोर्ड परीक्षा की तरह ही है। हाईस्कूल के बाद उच्च माध्यमिक परीक्षा है जिसे 10+2 कहा जाता है। भारत की तरह, नेपाल में भी स्नातक (3 से 4 साल) और स्नातकोत्तर (2 साल) का पाठ्यक्रम है। खास बात यह है कि भारत की तरह नेपाल में भी शिक्षा संस्कृति, धर्म और मूल्यों से जुड़ी है।

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