जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए लांस नायक नरेंद्र सिंधु की कहानी साहस और बलिदान की कहानी है। हरियाणा के एक साधारण किसान परिवार से निकलकर, नरेंद्र ने राष्ट्रीय राइफल्स में अपनी सेवाएं दीं।
8 सितंबर 2025 को कुलगाम के गुद्दर जंगलों में लश्कर-ए-तैयबा के दो खूंखार आतंकियों को मार गिराने वाली मुठभेड़ में 28 वर्षीय नरेंद्र शहीद हो गए। उनकी शहादत ने कश्मीर की सुरक्षा को मजबूत किया, लेकिन उनके गांव रोहेड़ा, कैथल में मातम पसर गया।
ऑपरेशन गुद्दर: अंतिम मुठभेड़
8 सितंबर 2025 को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के गुद्दर जंगलों में भारतीय सेना, सीआरपीएफ, और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने एक सर्च ऑपरेशन शुरू किया। खुफिया जानकारी के आधार पर, टीम छिपे हुए आतंकियों की तलाश कर रही थी। जैसे ही टीम आगे बढ़ी, आतंकियों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी।
जवाबी कार्रवाई में दो लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी मारे गए - एक स्थानीय आमिर अहमद डार और दूसरा विदेशी रहमान भाई। सूबेदार प्रभात गौर और लांस नायक नरेंद्र सिंधु भी इस मुठभेड़ में शहीद हो गए, जबकि एक मेजर घायल हुए।
चिनार कोर ने ट्वीट कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उनके बलिदान को प्रेरणा बताया। यह ऑपरेशन पहलगाम हमले के बाद जारी 14 आतंकियों की लिस्ट का हिस्सा था। मुठभेड़ 9 सितंबर तक चली, और सेना ने इलाके को सील कर दिया।
नरेंद्र सिंधु: एक किसान बेटे की फौजी जिंदगी
नरेंद्र सिंधु का जन्म 5 अक्टूबर 1996 को हरियाणा के कैथल जिले के रोहेड़ा गांव में हुआ था। उनके पिता दलबीर सिंह किसान हैं, और मां रोशनी देवी गृहिणी हैं। परिवार में दो विवाहित बहनें और एक छोटा भाई वीरेंद्र सिंधु है, जो अमेरिका में काम करता है।
2016 में 20 साल की उम्र में नरेंद्र भारतीय सेना में भर्ती हुए। 2021 से वह श्रीनगर में तैनात थे। परिवार के मुताबिक, वह अविवाहित थे, लेकिन शादी की बात चल रही थी। उनकी जम्मू-कश्मीर पोस्टिंग पूरी होने वाली थी और ट्रांसफर के बाद शादी की योजना थी।
अंतिम संस्कार: राजकीय सम्मान
9 सितंबर 2025 को नरेंद्र का पार्थिव शरीर रोहेड़ा गांव पहुंचा, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके छोटे भाई वीरेंद्र अमेरिका से लौट रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा और सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी श्रद्धांजलि दी।
परिवार का दर्द: टूटी हुई उम्मीदें
नरेंद्र की शहादत की खबर से रोहेड़ा गांव में मातम छा गया। पिता दलबीर सिंह ने कहा कि उनका बेटा देश के लिए लड़ा, लेकिन शादी की खुशी नहीं मिली। मां रोशनी देवी का रो-रोकर बुरा हाल है।
लांस नायक नरेंद्र सिंधु एक किसान बेटे की तरह सादगी से जिए, लेकिन एक फौजी की तरह शान से शहीद हुए। उनकी शहादत कश्मीर की शांति का प्रतीक है।
*कैथल जिले के रोहेड़ा गाँव निवासी लांस नायक नरेंद्र सिंह सिंधु ने श्रीनगर में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान वीरतापूर्वक लड़ते हुए मातृभूमि की रक्षा करते-करते अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
— Haryana BJP (@BJP4Haryana) September 9, 2025
भाजपा हरियाणा परिवार उनकी शहादत को शत-शत नमन करता है।
राष्ट्र की रक्षा हेतु अपने… pic.twitter.com/tikt0VExXA
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