असम के देबजीत घोष, एक ऐसे शिक्षक हैं जो बच्चों को शिक्षा देने के लिए रोजाना 150 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। खतरनाक जंगली रास्तों और बरसात में कीचड़ से भरे इलाकों से गुजरकर वे अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया है।
देबजीत घोष असम के सोनितपुर जिले के रंगपारा में रहते हैं। वे डिब्रूगढ़ जिले के नामसांग टीई मॉडल स्कूल में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हैं। स्कूल तक पहुँचने के लिए कोई सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध नहीं है, फिर भी वे रोजाना जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ाने जाते हैं।
एक सवाल के जवाब में देबजीत ने कहा कि अगर वे वहां नहीं रहेंगे तो नामसांग टी एस्टेट मॉडल स्कूल में विकास कार्य करना संभव नहीं होगा। वे अपने साथ दो अन्य शिक्षकों को भी लेकर जाते हैं। उन्होंने शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
देबजीत घोष ने अपने करियर की शुरुआत 2013 में डिब्रूगढ़ बंगाली हाई स्कूल में ग्रेजुएट टीचर के तौर पर की थी। 2022 में नामसांग टी गार्डन मॉडर्न स्कूल की स्थापना की गई, जिससे चाय बागान समुदाय के बच्चों को शिक्षा का अवसर मिला। पहले ये बच्चे प्राइमरी एजुकेशन के बाद पढ़ाई छोड़ देते थे, लेकिन माध्यमिक विद्यालय खुलने के बाद से वे नियमित रूप से स्कूल आ रहे हैं। पिछले दो सालों में देबजीत के स्कूल में 300 से ज्यादा छात्र पढ़ने के लिए आए हैं।
देबजीत घोष की प्रेरणादायक कहानी में एक किस्सा यह है कि कक्षा 8 के छात्र अभिषेक को साइंस में अच्छे अंक नहीं मिले थे, क्योंकि उसे लिखना पसंद नहीं था। देबजीत ने छात्र को मार्गदर्शन और प्रेरणा दी, जिसके बाद अभिषेक ने असम बोर्ड की कक्षा 10 की परीक्षा में विज्ञान में 100 अंक और कुल मिलाकर 93 प्रतिशत अंक हासिल किए। देबजीत घोष का समर्पण और संघर्ष सचमुच सम्मान के काबिल है।
Mr. Debajit Ghosh, Teacher at Namsang TE Model School, Dibrugarh, Assam, is recognized for his transformative leadership and dedication in a remote tea garden community.
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 5, 2025
He organized a unique science exhibition with VSSE SAC and ISRO, sparking a love for learning and reducing… pic.twitter.com/oAwGLdfxss
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