हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हाल ही में आई भीषण बाढ़ ने भारी तबाही मचाई। तबाही के मंजर के बीच पानी में तैरती लकड़ियों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। कुछ लोगों ने इसे मजाकिया अंदाज में फिल्म पुष्पा के सीन जैसा बताया।
लेकिन, इन लकड़ियों के साथ चल रहे काले खेल की चर्चा भी शुरू हो गई। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है, जहाँ कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के बाढ़ग्रस्त इलाकों में कटी हुई लकड़ी के लट्ठों के तैरने की हालिया रिपोर्टों पर चिंता जताई है। कोर्ट का मानना है कि यह तस्वीरें क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से हो रही पेड़ो की कटाई का संकेत देती हैं।
चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा, हमने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में अभूतपूर्व भूस्खलन और बाढ़ देखी है। मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि बाढ़ में भारी मात्रा में लकड़ी बहकर आई। पहली नज़र में ऐसा लगता है कि पेड़ो की अवैध कटाई हुई है।
कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो कि केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, से इस मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने टिप्पणी करते हुए कहा, एसजी, कृपया इस पर ध्यान दें। यह एक गंभीर मुद्दा प्रतीत होता है। बड़ी संख्या में लकड़ी के लट्ठे इधर-उधर गिरे हुए देखे गए और ये पेड़ों की अवैध कटाई को दर्शाता है। हमने पंजाब की तस्वीरें देखी हैं। पूरा खेत और फसलें जलमग्न हो गई हैं। विकास को राहत उपायों के साथ संतुलित करना होगा।
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कोर्ट को आश्वासन देते हुए कहा कि इस मामले को पूरी गंभीरता से लिया जा रहा है और वह पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से बात करेंगे। उन्होंने कहा, हमने प्रकृति के साथ इतना हस्तक्षेप किया है कि अब प्रकृति हमें जवाब दे रही है। मैं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से बात करूंगा और वह मुख्य सचिवों से बात करेंगे। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।
कोर्ट इस मामले में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो कि पर्यावरणविद् अनामिका राणा द्वारा दायर की गई थी। याचिका में पर्यावरण से जुड़ी आपदाओं को रोकने और हिमालयी राज्यों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। जनहित याचिका में मांग की गई है कि ऐसी आपदाओं के कारणों का पता लगाया जाए। साथ ही हिमालयी राज्यों की इकोलॉजी को कैसे बचाया जाए, यह पता लगाने के लिए एक्सपर्ट्स को शामिल करते हुए एसआईटी का गठन किया जाए।
कोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर और पंजाब की सरकारों सहित विभिन्न सरकारी प्राधिकरणों को नोटिस जारी किया है और दो सप्ताह में मामले पर जवाब मांगा है।
*This is chamba! Ravi River is terrifying! Sultan Nagar is near this Bridge is never safe! #chambalandslide #chamba #RaviRiver #HimachalPradesh pic.twitter.com/VY65HOoh4w
— Vinod Katwal (@Katwal_Vinod) August 30, 2025
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