पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तियानजिन में हुई मुलाकात पर दुनियाभर की मीडिया ने प्रतिक्रिया दी है।
अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि भारत अमेरिका के बीच तनाव को जिनपिंग अपने लिए अवसर के तौर पर देख रहे हैं और पुतिन के साथ अपने पुराने गठबंधन को और मजबूती दे रहे हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, शी जिनपिंग कूटनीति और सेना की ताकत से उस व्यवस्था को बदलना चाहते हैं, जिस पर अभी तक अमेरिका का दबदबा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति के साथ बैठक में भारत-चीन के संबंधों को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया, जो आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता पर आधारित हो।
मोदी ने चीन के साथ विभिन्न मुद्दों पर हुई बातचीत की तरक्की पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा के शुरू होने पर बात की।
शी जिनपिंग ने कहा, चीन और भारत दो प्राचीन सभ्यताएं हैं। हम दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं, और हम ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्य भी हैं। हम दोनों अपने लोगों की भलाई में सुधार लाने, विकासशील देशों की एकजुटता और कायाकल्प को बढ़ावा देने, और मानव समाज की प्रगति को बढ़ावा देने की ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी निभाते हैं।
जिनपिंग ने आगे कहा, आज दुनिया सदी में एक बार होने वाले बदलावों से गुजर रही है। अंतरराष्ट्रीय स्थिति अस्थिर और अराजक दोनों है। इस वर्ष चीन-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ है। दोनों पक्षों को अपने संबंधों को रणनीतिक ऊंचाई और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखने और संभालने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हमें बहुपक्षवाद को बनाए रखने, एक बहुध्रुवीय विश्व और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अधिक लोकतंत्र लाने के लिए मिलकर काम करने, और एशिया और दुनिया भर में शांति और समृद्धि में अपना सच्चा योगदान देने की अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को भी पूरा करना होगा।
तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन भी चीन के तियानजिन शहर पहुंच गए हैं और एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
एससीओ शिखर सम्मेलन से पहले पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक शुरू हो गई है। अमेरिका के टैरिफ युद्ध के बीच दोनों नेताओं की मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है।
दोनों नेताओं के बीच करीब 40 मिनट बातचीत होनी है।
एससीओ में 10 सदस्य देश हैं। चीन, भारत के अलावा, बेलारूस, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। सदस्य देशों के साथ कई संवाद साझेदार और पर्यवेक्षक देश भी सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी चीन पहुंच गए हैं। वे दो दिन एससीओ समिट में शामिल होंगे और चीन के विजय दिवस समारोह में भी भाग लेंगे।
मोदी-जिनपिंग दो द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। ट्रंप की टैरिफ नीति से वैश्विक व्यापार में उपजे तनाव के बीच भारत और चीन द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर सहमत हैं।
दोनों नेता भारत-चीन आर्थिक संबंधों का जायजा लेंगे। साथ ही, पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के बाद रिश्तों में तल्खी को दूर करने के उपायों पर विचार-विमर्श होने की भी संभावना है।
एससीओ सम्मेलन से इतर, पीएम मोदी पुतिन और कई वैश्विक नेताओं से भी वार्ता करेंगे।
#WATCH | तियानजिन, चीन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सचिवालय के सचिव कै क्यूई के साथ बैठक की।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 31, 2025
(सोर्स: ANI/DD न्यूज़) pic.twitter.com/zVIV4qEubq
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