अमेरिकी टैरिफ भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने के लिए दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठकें चल रही हैं। वित्त विभाग इस चुनौती से पार पाने के तरीकों पर मंथन कर रहा है। सरकार निर्यातकों को राहत देने का फैसला कर सकती है, जिस पर मंथन जारी है और जल्द ही घोषणा की संभावना है।
वैकल्पिक बाजारों की तलाश भी जारी है, लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लगेगा। यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को लागू करने में भी समय लगेगा।
सरकार ने घरेलू मोर्चे पर दो बड़े काम किए हैं:
RBI की कटौती: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने फरवरी से अब तक Repo Rate में 100 आधार अंक की कटौती की है, जिससे बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी बनी रहे और बाहरी झटके के समय अर्थव्यवस्था को सहारा मिल सके।
GST दरों में बदलाव: सरकार जीएसटी दरों में बदलाव करके फेस्टिव सीजन में कई सेक्टरों में डिमांड और सेल्स को बढ़ावा देने की तैयारी कर रही है।
केंद्र सरकार GST के मौजूदा स्ट्रक्चर को सरल करने के लिए दो स्लैब 5% और 18% लागू करने का प्रस्ताव ला रही है। लग्जरी आइटम्स 40% के दायरे में आएंगे। अभी GST के 4 स्लैब- 5%, 12%, 18%, और 28% हैं। बदलाव पर अंतिम फैसला जीएसटी काउंसिल की सितंबर के पहले सप्ताह में होने वाली बैठक में लिया जाएगा और अगर केंद्र और राज्यों के बीच सहमति बनती है तो इसे 22 सितंबर से लागू भी किया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार, सारे फूड और टेक्सटाइल आइटम्स को 5% जीएसटी स्लैब में लाया जाएगा, यानि कपड़ा और खाना सस्ता हो जाएगा। सीमेंट पर जीएसटी को 28% से घटाकर 18% करने पर विचार किया जा रहा है, जिससे कंस्ट्रक्शन और घरों की कीमत कम हो सकती है। सैलून या ब्यूटी पार्लर जैसी सेवाओं पर जीएसटी 18% से कम करके 5% किया जा सकता है। लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस से जीएसटी हटाने पर भी चर्चा हो रही है।
अगर टैक्स रेट घटने से चीज़ें सस्ती होती हैं तो डिमांड बढ़ती है। सरकार की योजना ऐसे ही भरपाई करने की है। कपड़े पर 12% जीएसटी को 5% करने से रेट कम हो जाएगा, लेकिन खरीदारी 20 से 25% बढ़ जाएगी, जिससे जीएसटी कलेक्शन स्थिर रह सकता है। 28% स्लैब सिर्फ लक्ज़री और तम्बाकू, पान मसाला, गुटखा जैसे प्रोडक्ट पर रहेगा।
सरकार दूसरे टैक्स जैसे पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज, इंपोर्ट ड्यूटी, कॉरपोरेट टैक्स से अतिरिक्त कलेक्शन कर सकती है। बड़ा सवाल यही है कि क्या ऐसे घरेलू मांग को बढ़ाकर अमेरिका के टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सकती है।
ट्रंप टैरिफ भारत की मुश्किलें बढ़ाएगा और इससे निपटने के लिए अभी और भी उपायों की जरूरत पड़ेगी। किसानों और छोटे व्यापारियों के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा। सरकार इस टैरिफ से निपटने के विकल्पों को तलाश कर रही है और बहुत जल्द इससे निपटने के उपायों की घोषणा किए जाने की संभावनाएं हैं।
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— Zee News (@ZeeNews) August 26, 2025
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