DRDO का सुदर्शन चक्र : भारत का अभेद्य वायु रक्षा कवच तैयार!
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भारत ने आसमान में अपनी सुरक्षा को अभेद्य बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने आज ओडिशा के तट पर इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण दोपहर 12:30 बजे किया गया।

IADWS एक बहुस्तरीय एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसमें क्विक रिएक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल (QRSAM), कम दूरी की मिसाइलें (VSHORADS) और उच्च शक्ति वाला लेज़र वेपन सिस्टम (Direct Energy Weapon) शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2025 को लालकिले से सुदर्शन चक्र नामक मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम विकसित करने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य इजरायल के Iron Dome की तरह भारत को ड्रोन्स, फाइटर जेट्स और क्रूज़ मिसाइल्स जैसे खतरों से बचाना है। IADWS, सुदर्शन चक्र को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रणाली के 2035 तक पूरी तरह से ऑपरेशनल होने की उम्मीद है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल परीक्षण पर DRDO को बधाई दी और कहा कि यह बहुस्तरीय एयर डिफेंस क्षमता को स्थापित करता है और महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा को मजबूत करेगा।

IADWS तीन मुख्य हथियारों का एक एकीकृत कवच है:

  1. क्विक रिएक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल (QRSAM): यह सिस्टम खतरे की स्थिति में तुरंत सक्रिय होकर एयरक्राफ्ट, ड्रोन और मिसाइल को हवा में ही मार गिराने की क्षमता रखता है। इसे DRDO ने विकसित किया है और इसका निर्माण BDL और BEL द्वारा अशोक लेलैंड डिफेंस की गाड़ियों पर किया गया है। इसकी रेंज 5-30 किमी और ऊंचाई 10 किमी तक है। यह एक साथ 6 टारगेट्स को निशाना बना सकता है और हर मौसम में ऑपरेट करने योग्य है। इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर (RF Seeker) लगा है, जो टारगेट के रेडियो सिग्नल्स को पकड़कर उसे भेदता है।

  2. कम दूरी की मिसाइलें (VSHORADS): यह नज़दीकी हवाई खतरों से निपटने वाला सिस्टम है। यह चौथी पीढ़ी का मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस (MANPAD) है जिसे सैनिक आसानी से अपने साथ ले जा सकते हैं। इसकी रेंज 300 मीटर से 6 किमी है। DRDO के रिसर्च सेंटर इमारत द्वारा विकसित, इसका जनवरी 2025 में सफल परीक्षण किया गया था। यह कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन्स को सटीकता से मार गिराने में सक्षम है।

  3. उच्च शक्ति वाला लेज़र वेपन (Direct Energy Weapon - DEW): यह बिना गोला-बारूद के, केवल ऊर्जा से हमला करता है। यह 30 किलोवाट लेज़र ऊर्जा उत्सर्जित करता है, जो एक आम घर के बिजली कनेक्शन से 10 गुना अधिक शक्तिशाली है। अप्रैल 2025 में इसका आंध्र प्रदेश के कुरनूल में सफल परीक्षण किया गया था। भविष्य में इसे नौसैनिक जहाज़ों और फाइटर विमानों पर लगाने की योजना है। यह फिक्स्ड-विंग और स्वार्म ड्रोन दोनों को गिराने में सक्षम है और सर्विलांस सेंसर को भी निष्क्रिय कर सकता है।

DRDO प्रमुख समीर वी. कामत ने कहा कि यह तो बस शुरुआत है और वे ऐसी तकनीकों पर काम कर रहे हैं जो भारत को स्टार वॉर्स जैसी क्षमताएं प्रदान करेंगी।

IADWS एक तीन परतों वाला कवच है जो आसमान से आने वाले हर खतरे को नाकाम करने में सक्षम है। 2035 तक सुदर्शन चक्र के पूरी तरह से ऑपरेशनल होने पर भारत के पास दुनिया के सबसे मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम में से एक होगा, जो आत्मनिर्भर भारत की ताकत का प्रतीक होगा।

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