अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने की घोषणा ने अमेरिका में ही विरोध की लहर पैदा कर दी है. इस फैसले से द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ने के साथ ही, अमेरिकी राजनीति और मीडिया में भी बहस छिड़ गई है.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस से ऊर्जा खरीद पर असमान मानदंड अपनाने को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि चीन रूस से सबसे ज़्यादा तेल खरीदता है, लेकिन उस पर अधिक टैरिफ़ नहीं लगाया गया है.
रिपब्लिकन नेता निकी हेली ने भारत को सहयोगी बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है, खासकर चीन का मुकाबला करने के लिए. उन्होंने कहा कि अमेरिका को समझना चाहिए कि चीन का सामना करने के लिए उसे भारत जैसे मित्र की ज़रूरत है.
निकी हेली ने न्यूज़वीक में लिखे एक लेख में कहा कि भारत को रूस से तेल खरीदने पर ट्रंप की आपत्ति को गंभीरता से लेना चाहिए और व्हाइट हाउस के साथ मिलकर इसका हल निकालना चाहिए. उन्होंने व्यापार विवादों और तेल आयात जैसे मुद्दों पर सख्त बातचीत की आवश्यकता बताई, लेकिन साझा लक्ष्यों को न भूलने की बात कही.
अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री जॉन केरी ने ट्रंप पर अपने सहयोगियों को दूर करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने कूटनीति के बजाय आदेश और दबाव डालने का तरीका अपनाया.
ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भी भारत पर लगाए गए टैरिफ़ का विरोध करते हुए कहा कि इससे भारत चीन-रूस के और क़रीब जा सकता है.
एक अन्य पूर्व सलाहकार, ईवान ए. फ़िजेनबॉम ने कहा कि यूक्रेन में शांति का रास्ता नई दिल्ली से होकर जाता है, लेकिन भारत रूसी तेल की रिफ़ाइनिंग का लॉन्ड्रोमैट बन गया है.
अमेरिकी मीडिया में भी ट्रंप के इस फ़ैसले की आलोचना हो रही है. टाइम ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ़ से भारत और चीन के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं. बैरेन्स ने लिखा कि ट्रंप की नीतियों से वैश्विक व्यापार नए समीकरणों की ओर बढ़ रहा है और भारत को चीन के साथ साझेदारी से लाभ मिल सकता है.
फॉक्स न्यूज़ ने लिखा कि ट्रंप का टैरिफ़, भारत को चीन और रूस के क़रीब ले जा रहा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि ट्रंप भारत को चीन की ओर धकेल रहे हैं.
सीएनएन पर फ़रीद ज़कारिया ने कहा कि ट्रंप के अचानक दुश्मनी वाले रुख़ ने 25 सालों में पांच अमेरिकी राष्ट्रपतियों के कार्यकाल के दौरान हुए काम को भारी नुक़सान पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि भारत में अब यह धारणा बन चुकी है कि अमेरिका भरोसेमंद नहीं है.
When Trump slapped tariffs on India for buying Russian oil, but not China which also purchases Russia oil, it may have pushed India further into the Beijing-Moscow axis. This lack of focus by the Trump Admin is an unforced error. pic.twitter.com/7lXNpyMg79
— John Bolton (@AmbJohnBolton) August 14, 2025
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