मध्य प्रदेश बनेगा क्रिटिकल मिनरल्स का हब; चीन पर निर्भरता होगी खत्म, सिंगरौली में मिला दुर्लभ तत्वों का भंडार
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि मध्य प्रदेश अब क्रिटिकल मिनरल्स का केंद्र बनेगा। यह राज्य ऊर्जा राजधानी के साथ-साथ क्रिटिकल मिनरल्स की राजधानी के रूप में भी जाना जाएगा। इससे भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

सिंगरौली जिले में दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements - REE) का विशाल भंडार मिलने से भारत की चीन जैसे देशों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने संसद में बताया कि भारत में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में इन दुर्लभ तत्वों का पता चला है।

यह उपलब्धि भारत को ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) के महत्व पर बल दिया है, जो भारत को ऊर्जा, तकनीक, उद्योग और रक्षा जैसे क्षेत्रों में रणनीतिक आत्मनिर्भरता दिलाने में सहायक होगा।

दुर्लभ पृथ्वी तत्वों को आधुनिक तकनीक का आधार माना जाता है। अभी तक भारत इन खनिजों के लिए चीन और अन्य देशों पर निर्भर था। सिंगरौली में हुई यह खोज भारत को आयात-निर्भरता से मुक्त करके वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे ले जाएगी। यह खोज आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देगी और औद्योगिक विकास को नई गति प्रदान करेगी।

दुर्लभ पृथ्वी तत्व प्राकृतिक रूप से कई खनिज संरचनाओं में पाए जाते हैं, जिनमें बास्टनेसाइट, जेनोटाइम, लोपेराइट और मोनाजाइट प्रमुख हैं। भारत के तटीय क्षेत्रों की रेत और अपक्षयित ग्रेनाइट मिट्टी भी इन तत्वों से भरपूर मानी जाती है।

इन तत्वों का उपयोग अनेक आधुनिक उद्योगों में किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:

कोल इंडिया लिमिटेड के शोध में सिंगरौली की कोयला खदानों और चट्टानों में REEs (जैसे स्कैंडियम, यिट्रियम आदि) की अच्छी मात्रा पाई गई है। कोयले में इनकी औसत मात्रा 250 पीपीएम और गैर-कोयला स्तर पर लगभग 400 पीपीएम आंकी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में कोयले की राख और ओवरबर्डन भी क्रिटिकल मिनरल्स का दूसरा स्रोत बन सकते हैं।

राज्य सरकार अब इनके प्रसंस्करण और शोध-अन्वेषण के लिए बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में जुटी है। खनिज संसाधन विभाग के प्रतिनिधियों ने इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड (आईआरईएल) की भोपाल इकाई का दौरा किया और संभावित सहयोग पर चर्चा की। विभाग रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की संभावनाएं तलाश रहा है, जो अनुसंधान, प्रशिक्षण और उद्योग को विश्वस्तरीय आधार प्रदान करेगा।

सिंगरौली जिले में मिले इस खजाने से भारत ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहनों और उच्च तकनीकी उद्योगों में आत्मनिर्भर बनेगा। आने वाले वर्षों में मध्यप्रदेश केवल ऊर्जा राजधानी ही नहीं बल्कि क्रिटिकल मिनरल्स की राजधानी भी कहलाएगा। चीन पर निर्भरता समाप्त होगी और भारत वैश्विक मंच पर शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित होगा।

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