चुनाव आयोग और राहुल गांधी के बीच तनातनी, वोट चोरी के दावों पर EC का करारा जवाब
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चुनाव आयोग और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच विवाद गहराता जा रहा है। आयोग ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वोट चोरी के आरोपों को फिर से खारिज करते हुए बेबुनियाद बताया है।

आयोग ने जून में राहुल को लिखे गए पत्र को सार्वजनिक किया, जिसका जवाब अभी तक नहीं मिला है। आयोग ने सवाल उठाया कि क्या राहुल के बयान सिर्फ मीडिया में सुर्खियां बटोरने के लिए थे?

आयोग के सचिव अश्वनी कुमार मोहाल ने 12 जून को राहुल को पत्र लिखा था। यह पत्र राहुल के 7 जून को एक अखबार में छपे लेख के जवाब में था, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में वोट चोरी का आरोप लगाया था।

आयोग ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने भी नवंबर 2024 के चुनाव के बाद ऐसी ही शिकायतें की थीं, जिनका आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को विस्तार से जवाब दिया था। यह जवाब आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। आयोग ने स्पष्ट किया कि सभी चुनाव कानूनों के अनुसार निष्पक्ष तरीके से कराए जाते हैं।

आयोग ने पत्र में लिखा कि महाराष्ट्र में चुनाव प्रक्रिया में 1,00,186 बूथ लेवल ऑफिसर, 288 इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर, 139 जनरल ऑब्जर्वर, 41 पुलिस ऑब्जर्वर, 71 खर्च ऑब्जर्वर और 288 रिटर्निंग ऑफिसर शामिल थे। इसके अलावा, कांग्रेस के 28,421 एजेंट सहित 1,08,026 बूथ लेवल एजेंटों ने प्रक्रिया की निगरानी की।

आयोग ने राहुल से शिकायत होने पर लिखित में बताने या व्यक्तिगत मुलाकात के लिए समय मांगने को कहा था। आयोग ने दावा किया कि राहुल ने न तो पत्र का जवाब दिया और न ही मुलाकात की कोई कोशिश की। आयोग ने सवाल उठाया, क्या राहुल के बयान बेबुनियाद थे, इसलिए जवाब नहीं दिया गया?

राहुल गांधी ने शनिवार को अपने तेवर और तेज कर दिए। उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी के पास वोट चोरी के पक्के सबूत हैं, जिन्हें उन्होंने एटम बम की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि जब ये सामने आएंगे, तो चुनाव आयोग के पास छिपने की कोई जगह नहीं बचेगी।

राहुल ने न केवल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, बल्कि 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव और हाल के लोकसभा चुनावों में भी गड़बड़ी के आरोप लगाए। उन्होंने आयोग पर धमकी देने का भी आरोप लगाया।

आयोग ने राहुल के बयानों को निंदनीय बताते हुए खारिज किया था और कहा था कि राहुल ने आयोग और उसके कर्मचारियों को धमकाने की कोशिश की।

चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि अगर कांग्रेस को कोई शिकायत थी, तो उनके उम्मीदवारों को संबंधित अदालत में चुनाव याचिका दाखिल करनी चाहिए थी। आयोग ने बताया कि राहुल की तरफ से कोई औपचारिक शिकायत या पत्र कभी नहीं आया।

आयोग ने ज़ोर दिया कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और क़ानून के दायरे में होती है। आयोग ने राहुल को फिर से न्योता दिया कि वे अपनी शिकायतें लिखित में दें या मुलाकात करें, ताकि सारी बातें साफ़ हो सकें।

अब सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी अपने पक्के सबूत सामने लाएंगे? और अगर हां, तो क्या यह वाकई एटम बम साबित होगा?

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