इसरो की बड़ी कामयाबी: निसार उपग्रह अंतरिक्ष में, 12 दिन में बनाएगा धरती का नक्शा!
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को एक बड़ी सफलता हासिल की। इसरो के रॉकेट GSLV-MkII ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी और निसार (NISAR) सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया। यह उपग्रह अंतरिक्ष से पृथ्वी की निगरानी करेगा।

निसार मिशन पर 1.5 बिलियन डॉलर (लगभग 12,500 करोड़ रुपये) का खर्च आया है, जिसमें भारत का हिस्सा 788 करोड़ रुपये है। यह उपग्रह केवल 12 दिनों में धरती की लगभग पूरी जमीन और बर्फ से ढकी सतह का नक्शा तैयार कर लेगा।

निसार उपग्रह में SAR ( सिंथेटिक अपर्चर रडार) लगा है जो एल-बैंड और एस-बैंड माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम फ्रीक्वेंसी पर काम करता है। एल-बैंड लगभग 1-2 गीगाहर्ट्ज पर काम करता है, जिसकी वेवलेंथ 15-30 सेमी होती है। यह वनस्पति, मिट्टी और बर्फ जैसी सतहों में गहराई तक प्रवेश कर सकता है। दूसरी ओर, एस-बैंड 2-4 गीगाहर्ट्ज की हाई फ्रीक्वेंसी पर काम करता है, जिसकी वेवलेंथ लगभग 7.5-15 सेमी होती है। यह बनावट संबंधी सूक्ष्म जानकारी रिकॉर्ड करता है।

एल-बैंड एसएआर वनों, मिट्टी की नमी और जमीन की हलचल का अध्ययन करने के लिए उपयोगी है। इसका रिजॉल्यूशन कम होता है। एस-बैंड एसएआर हाई रिजॉल्यूशन किन्तु कम गहराई वाली तस्वीर देता है, जिससे शहरी बुनियादी ढांचे और बाढ़ की बेहतर निगरानी होती है। तूफान प्रभावित क्षेत्रों को ठीक तरह से देखा जा सकता है। एल-बैंड और एस-बैंड साथ मिलकर पृथ्वी की सतह और इसपर हो रही हलचल की सटीक जानकारी देते हैं।

निसार मिशन 5 साल तक काम करेगा। यह उपग्रह 747km की ऊंचाई पर रहकर पृथ्वी के चक्कर लगाएगा। इसका वजन 2393kg है। इसमें डुअल फ्रीक्वेंसी (L और S बैंड) सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) लगा है। L बैंड SAR नासा का है, जबकि S-बैंड SAR इसरो का है।

इसरो उपग्रह की कमांडिंग और संचालन के लिए जिम्मेदार है। नासा उपग्रह को कक्षा में बनाए रखने, उसके काम करने और रडार के संचालन की जिम्मेदारी उठाएगा।

निसार मिशन से मिली तस्वीरें इसरो और नासा दोनों के ग्राउंड स्टेशन पर डाउनलोड होंगी। आवश्यक प्रोसेसिंग के बाद इसे यूजर्स को दिया जाएगा। एस-बैंड और एल-बैंड एसएआर के माध्यम से मिलने वाली तस्वीरों से वैज्ञानिकों को धरती पर हो रहे बदलावों को समझने में मदद मिलेगी।

निसार मिशन से यह भी पता चलेगा कि पृथ्वी पर कहां कितना जंगल है, उसमें किस तरह के बदलाव आ रहे हैं, किस जगह कौन सी फसल उगाई जा रही है और उसमें कैसे बदलाव हो रहे हैं। पानी से भरी जमीन में किस तरह बदलाव हो रहे हैं, ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ कितनी है और समुद्र में बर्फ की क्या स्थिति है। इसके अलावा, ग्लेशियरों की स्थिति, भूकंप, ज्वालामुखी और भूस्खलन संबंधी जानकारी भी प्राप्त होगी।

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