पंचायत सचिव, सरकारी तंत्र का सबसे निचला लेकिन महत्वपूर्ण कर्मचारी होता है. गांव में आम लोगों का सबसे ज्यादा संपर्क इसी से होता है.
अगर आपका पाला इन सरकारी कर्मचारियों से पड़ गया तो आपको जिंदगी की हकीकत समझ में आ जाएगी. एक प्रमाण पत्र के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं. लोग घूस देना क्यों ठीक समझते है, यह पता चल जाएगा.
बिहार के एक पंचायत सचिव से राजद विधायक भाई विरेंद्र की बातचीत वायरल हो रही है. लोग पंचायत सचिव के कसीदे पढ़ रहे हैं, विधायक को गाली दी जा रही है.
यह आक्रोश जायज है. आम नागरिक नेताओं के VVIP कल्चर से खफा हैं. विधायक भाई विरेंद्र के लहजे का समर्थन नहीं किया जा सकता.
लेकिन, यह बात कैसे नजरअंदाज कर दी जाए कि एक मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए विधायक को पंचायत सचिव से बहस करनी पड़ रही है? मृत्यु प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र जैसी बुनियादी सेवा देने को लेकर प्रशासनिक तंत्र किस तरह काम करता है, यह किसी से छुपा नहीं है.
विवाद का आधार विधायक और पंचायत सचिव के बातचीत का लहजा है. विधायक अपना नाम बताकर उम्मीद कर रहा है कि पंचायत सचिव उसे पहचान ले. लेकिन पंचायत सचिव विधायक को दो कौड़ी का नहीं समझ रहा है.
आप खुश हो सकते हैं कि विधायक की हेकड़ी पंचायत सचिव ने निकाल दी. लेकिन, यह नहीं भूलना चाहिए कि यदि पंचायत सचिव एक विधायक के साथ ऐसा बर्ताव कर रहा है तो वह आम आदमी से कैसा बर्ताव कर रहा होगा.
जब एक विधायक की इस तरह खिल्ली एक पंचायत सचिव उड़ा रहा है तो इन जनप्रतिनिधियों की हालत डीएम और एसपी के आगे क्या होती होगी. आईएएस और आईपीएस अफसरों को तो सस्पेंड करने में मुख्यमंत्रियों की भी सांस फूलने लगती है.
नेताओं ने चिंदी चोरी में अपना नाम इस तरह दर्ज करा लिया कि आम जनता को अधिकारी ईमानदार लगते हैं और नेता भ्रष्ट लगते हैं. लेकिन, इस बहस का एक गंभीर पहलू यह है कि जनप्रतिनिधि पर हावी हो चुका प्रशासनिक तंत्र आम आदमी को कहीं का नहीं समझता है.
भ्रष्टाचार और दबंगई के लिए नेता कुख्यात रहे हैं, लेकिन देश में जितना काला धन अफसरों ने इकट्ठा किया है उतना नेताओं ने नहीं.
विधायक ने तो किसी कमजोर का काम कराने के लिए फोन किया था. पंचायत सचिव हो या लेखपाल, बीडीओ हो या तहसीलदार, आम लोग की गि़ड़गिड़ाहट को तवज्जो नहीं देते हैं. उन्हें सिर्फ रिश्वत की भाषा समझ में आती है या किसी दबंग नेता के सामने इनकी घिग्गी बंध जाती है.
यूपी में नौकरशाही इस तरह हावी है कि बिजली मंत्री को अपने मातहत इंजीनियर को सस्पेंड करने के लिए उसकी बातचीत का ऑडियो वायरल करवाना पड़ता है. एक राज्यमंत्री को अभी हाल ही में थाने में धरने पर बैठना पड़ता है. यूपी सरकार में नंबर 2 पर रह चुके सिद्धार्थ नारायण सिंह का सरकारी आवास बारिश में लीक कर रहा था.
अब अंदाजा लगाइये कि नौकरशाही के आगे ये हालत सियासी हुक्मरानों की है, तो आम बाशिंदों की क्या बिसात!
विधायक और पंचायत सचिव का संवाद। पंचायत के अगले वेब सीरिज़ में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। 😆 pic.twitter.com/ll36qOw58L
— Sunny Sharad (@sunny_sharad) July 27, 2025
7000mAh बैटरी और 50MP कैमरे के साथ Redmi 15C 5G, कीमत 15000 रुपये से कम!
लाइव शो में मौलाना साजिद रशीदी को थप्पड़, डिंपल यादव पर टिप्पणी से सपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश
भारत के दोहरे ऑपरेशन से पाकिस्तान में दहशत, ऑपरेशन महादेव से कश्मीर से PoK तक हलचल!
100 में से केवल 2-4 लड़कियां पवित्र: प्रेमानंद महाराज के बयान पर विवाद
दुष्कर्म के आरोपी आफताब अंसारी की नदी में लाश, शिकायत करने वाले हिंदू कार्यकर्ताओं पर ही केस!
होटल में घुसी बेकाबू कार! महिला वकील ने रिवर्स लेते खोया नियंत्रण, CCTV में कैद हुआ खौफनाक मंजर
ऑपरेशन सिंदूर: संसद में नज़रअंदाज़, थरूर ने बाहर उठाया ब्रह्मोस इकाई का मुद्दा
मोदी के भाषण पर राहुल का हमला: ट्रंप को झूठा नहीं कहा, चीन का नाम तक नहीं लिया
HSSC चेयरमैन का बड़ा ऐलान: ग्रुप डी परीक्षा के लिए तैयार रहें युवा!
दुकानों में महिलाओं को सूंघता पकड़ा गया शख्स, कैमरे में कैद हुई घिनौनी हरकत