भारत की 19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने महिला चेस वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच दिया है। वह यह प्रतिष्ठित खिताब जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं।
दिव्या ने रोमांचक फाइनल मुकाबले में भारत की ही दिग्गज खिलाड़ी कोनेरू हंपी को टाईब्रेकर में हराया। इस शानदार जीत के साथ ही दिव्या अब ग्रैंडमास्टर भी बन गई हैं। वह भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर हैं। उनसे पहले कोनेरू हंपी, डी हरिका और आर वैशाली यह उपलब्धि हासिल कर चुकी हैं।
फाइनल मुकाबला 26 जुलाई को शुरू हुआ और तीन दिनों तक चला। एक तरफ अनुभवी 38 वर्षीय कोनेरू हंपी थीं, तो दूसरी ओर युवा 19 वर्षीय दिव्या। उम्र के साथ दोनों की रैंकिंग में भी काफी अंतर था। हंपी FIDE रेटिंग में पांचवें स्थान पर हैं, जबकि दिव्या 18वें नंबर पर।
फाइनल के पहले दो दिन क्लासिकल फॉर्मेट में दो मैच खेले गए। ये दोनों मैच ड्रॉ रहे। इसके बाद मैच टाईब्रेकर में पहुंचा जो कि रैपिड फॉर्मेट में खेला जाना था। इस राउंड में कोनेरू हंपी को प्रबल दावेदार माना जा रहा था, क्योंकि उन्होंने बीते दिसंबर में वर्ल्ड रैपिड चैंपियन का खिताब जीता था।
हालांकि, दिव्या ने बड़ा उलटफेर किया। उन्होंने रैपिड फॉर्मेट में खेले गए टाईब्रेकर में ही हंपी को मात देकर जीत हासिल की।
इस टूर्नामेंट में 102 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। दिव्या ने फाइनल से पहले कई बड़े खिलाड़ियों को हराया। उन्होंने सबसे पहले सर्बिया की इंटरनेशनल मास्टर्स टियोडरा इनजैक को हराया। फिर वर्ल्ड नंबर 6 चीन की जु जिनर को मात दी। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने भारत की डी हरिका को हराया था। वहीं सेमीफाइनल में चीन की पूर्व वर्ल्ड चैंपियन टैन जोरगयी को पछाड़ा।
इस जीत के साथ ही उन्होंने कैंडिडेट्स चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई कर लिया था। साथ ही पहला जीएम नॉर्म भी हासिल कर लिया था।
फाइनल में जीत के बाद दिव्या बहुत भावुक नजर आईं। वह खिताब जीतने के बाद अपनी मां के गले लगकर रोने लगीं।
दिव्या ने कहा, मुझे लगता है कि ये मेरी किस्मत थी कि मुझे ग्रैंडमास्टर टाइटल इस तरह मिले। टूर्नामेंट से पहले मेरे पास एक भी GM नॉर्म नहीं था। मुझे लग रहा था कि शायद मैं यहां एक ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल कर सकती हूं, लेकिन मैंने जीत के साथ ग्रैंडमास्टर टाइटल हासिल कर लिया। ये जीत मेरे लिए बहुत खास है लेकिन मैं उम्मीद करूंगी कि ये जीत महज शुरुआत हो।
दिव्या के लिए पिछला एक साल बेहद खास रहा है। वह 2024 में ही गर्ल्स सेक्शन में वर्ल्ड जूनियर चैंपियन बनी थीं। इसके बाद उन्होंने भारत को चेस ओलंपियाड जिताने में अहम भूमिका निभाई थीं। अब महिला वर्ल्ड कप जीता है, जो कि इस वर्ग का दूसरा सबसे बड़ा खिताब है।
दिव्या ने चार साल की उम्र में चेस खेलना शुरू किया था। उनके माता-पिता उन्हें और उनकी बहन को बैडमिंटन क्लास के लिए लेकर गए थे। हालांकि, यहां दिव्या नेट तक भी नहीं पहुंच पा रही थीं, इसलिए उसी बिल्डिंग में हो रही चेस क्लास लेने लगीं। बाद में उनकी बहन ने बैडमिंटन खेलना बंद कर दिया, लेकिन चेस ने दिव्या की जिंदगी बदल दी।
उन्होंने साल 2013 में FIDE मास्टर का खिताब हासिल किया था। इसके बाद वह 2018 में महिला इंटरनेशनल मास्टर और 2021 में महिला ग्रैंडमास्टर बनीं। 2023 में दिव्या को इंटरनेशनल मास्टर का खिताब मिला। अब वे ग्रैंडमास्टर दिव्या कहलाएंगी।
*🇮🇳 Divya Deshmukh defeats Humpy Koneru 🇮🇳 to win the 2025 FIDE Women s World Cup 🏆#FIDEWorldCup @DivyaDeshmukh05 pic.twitter.com/KzO2MlC0FC
— International Chess Federation (@FIDE_chess) July 28, 2025
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