सत्ता से पहले ही सच? मुस्लिम लीग रैली में हिंदुओं को जिंदा जलाने की धमकी!
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केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की एक रैली ने देश में सियासी भूचाल ला दिया है। रैली में कथित तौर पर हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ नारे लगाए गए, जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची और साम्प्रदायिक सौहार्द पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

रैली के दौरान लगाए गए नारों में, हिंदुओं हम तुम्हें रामायण नहीं पढ़ने देंगे, हिंदुओं हम तुम्हें मंदिर के सामने जिंदा जलाएंगे, हिंदुओं हम तुम्हें मंदिर के गेट पर फांसी लटका देंगे, हिंदुओं तुम होश में आओ जैसे आपत्तिजनक दावे शामिल हैं। इन नारों ने लोगों को चौंका दिया और सोशल मीडिया पर तुरंत आक्रोश फैल गया।

इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे ऐसी मानसिकता वाली पार्टी का समर्थन करना उचित मानते हैं, तो उन्होंने कहा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग कम्पलीटली सेक्युलर पार्टी है। इस बयान पर जनता और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, और पूछा कि क्या IUML जैसी पार्टी को सेक्युलर कहना लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उपहास नहीं है?

IUML, विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की भी एक महत्वपूर्ण सहयोगी है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या गठबंधन के अन्य दल भी रैली और नारों की निंदा करेंगे, या सत्ता की लालसा में चुप रहेंगे? क्या यह गठबंधन केवल वोट बैंक की राजनीति तक सीमित है, या वास्तव में देश को एकजुट रखने में सक्षम है?

अगर I.N.D.I.A. गठबंधन सत्ता में आता है, तो क्या देश में धार्मिक कट्टरता को और बढ़ावा मिलेगा? क्या हिंदू मंदिर, आस्था और धार्मिक ग्रंथों पर हमले होंगे? इन सवालों को अब अनदेखा नहीं किया जा सकता।

रैली के बाद सोशल मीडिया पर #BanIUML और #IUMLExposed जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लाखों लोगों ने पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की, और कहा कि ऐसे दल भारत की अखंडता के लिए खतरा हैं और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

हालांकि केरल सरकार ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां रैली के फुटेज और नारों की जांच कर रही हैं। जनता की मांग है कि IUML को भी उसी कठघरे में खड़ा किया जाए, जैसे पहले धार्मिक उन्माद फैलाने वाले संगठनों के साथ किया गया था।

भारत एक बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक राष्ट्र है। ऐसे में किसी भी धर्म या समुदाय के खिलाफ हिंसा की बात करना लोकतंत्र और संविधान का उल्लंघन है। यदि IUML की रैली में जो कुछ भी हुआ, वह सत्य है, तो यह हमारे संवैधानिक मूल्यों पर सीधा हमला है।

इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले चुनाव केवल राजनीतिक लड़ाई नहीं होंगे, बल्कि भारत की आत्मा और उसकी धर्मनिरपेक्ष पहचान को लेकर भी होंगे। IUML जैसी पार्टी की सोच और गठबंधन में उसकी भागीदारी, आने वाले वर्षों में देश के स्वरूप को किस दिशा में मोड़ेगी, यह चिंतन का विषय है। देश को तय करना होगा कि वह कट्टरता और धार्मिक नफरत की राह पर चलेगा या सहिष्णुता और संविधान की राह पर।

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