भारत ने कैसे जीता मालदीव का दिल: मोइज्जू ने बिछाई लाल कालीन, चीन हुआ हैरान
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मालदीव, जो कभी हिंद महासागर का मोती और चीन की बुरी नजर का शिकार था, अब भारत के साथ मित्रता का हाथ बढ़ा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मालदीव में शाही स्वागत इस बात का प्रमाण है कि राष्ट्रपति मो. मोइज्जू का चीन प्रेम अब टूट चुका है.

कभी इंडिया आउट अभियान चलाकर सत्ता में आने वाले मो. मोइज्जू अब वेलकम मोदी कर रहे हैं. उन्होंने मोदी को स्वतंत्रता दिवस का मुख्य अतिथि बनाया और खुद एयरपोर्ट आकर गले लगाया. इस दौरे की शुरुआत ही बताती है कि कूटनीति के मैदान में भारत ने चीन को मात दी है.

मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी है. पिछली सरकारों के कार्यकाल में रक्षा और सुरक्षा सहित द्विपक्षीय संबंधों में वृद्धि देखी गई थी.

मोइज्जू के शासनकाल में दोनों देशों के बीच संबंधों में आए ठहराव के बाद यह यात्रा एक महत्वपूर्ण मोड़ है.

कैसे बिगड़े रिश्ते?

2023 में मो. मोइज्जू ने इंडिया आउट अभियान चलाया और चुनाव जीत लिया. दिसंबर 2023 में दुबई में UN कॉप-28 में पीएम मोदी और मोइज्जू की मुलाकात से सुधार आने लगा.

2024 की शुरुआत में कुछ मंत्रियों ने पीएम मोदी और लक्षद्वीप यात्रा पर अपमानजनक टिप्पणी की, जिसके बाद भारत में बायकॉट मालदीव अभियान शुरू हो गया.

जनवरी 2024 में चीन यात्रा में मो. मोइज्जू ने कहा कि उन्हें कोई धमका नहीं सकता है. मई 2024 तक भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने की मांग होने लगी, जिसके बाद भारत ने तकनीकी कर्मचारी भेजे.

सुधार की शुरुआत

मोइज्जू के सत्ता में आने के साथ ही भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास आ गई थी. भारतीय सैनिकों की वापसी और चीन से बढ़ती नजदीकियां ऐसी लग रही थीं मानो मालदीव अब भारत के पाले से निकल रहा है.

हालांकि, भारत ने धैर्य और समझदारी से काम लिया. आर्थिक मदद और लगातार संपर्क और बातचीत के प्रयासों ने रंग दिखाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी मालदीव यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों में एक नया मोड़ ला दिया.

अक्टूबर 2024 में मो. मोइज्जू भारत की यात्रा पर आए. इस दौरान 750 मिलियन डॉलर की करेंसी स्वैप डील हुई, जिससे मालदीव की विदेशी मुद्रा की कमी लगभग पूरी हो गई.

मई 2025 में भारत ने 50 मिलियन डॉलर के ट्रेजरी बिल को रोल ओवर कर मालदीव की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया.

मो. मोइज्जू का चीन प्रेम टूटा

दोनों नेताओं ने प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता से पहले बैठक की. चीन के करीब माने जाने वाले मोइज्जू नवंबर 2023 में इंडिया आउट अभियान के बल पर सत्ता में आए थे. अब रक्षा सहयोग से लेकर विकास परियोजनाओं तक सब कुछ पटरी पर आता दिख रहा है.

मो. मोइज्जू का चीन प्रेम टूट रहा है और मालदीव फिर से भारत के पाले में आ रहा है.

दोनों देशों के लिए फायदेमंद है यात्रा

प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव यात्रा भारत की कूटनीतिक जीत है. इंडिया आउट का नारा देने वाले राष्ट्रपति मोइज्जू का हृदय परिवर्तन और बढ़ती गर्मजोशी बताती है कि भारत के प्रयासों ने रंग लाया है.

हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए भारत ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इससे क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के शुभ संकेत मिल रहे हैं.

मालदीव का भारत के करीब आना दोनों देशों के लिए फायदेमंद है. यह क्षेत्रीय सुरक्षा और विकास को भी मजबूत करेगा.

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