झालावाड़, राजस्थान के पीपलोदी गांव में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 27 अन्य घायल हैं. इस घटना ने स्कूल की जर्जर हालत और अधिकारियों की लापरवाही को उजागर कर दिया है.
गांव वालों का कहना है कि स्कूल की हालत बेहद खराब थी और इसकी शिकायत कई बार की जा चुकी थी. पहले भी कई बार स्कूल में पत्थर गिरे थे, जिसकी जानकारी स्कूल प्रशासन, सरपंच और अन्य अधिकारियों को दी गई थी. लेकिन, इन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
जानकारी के अनुसार, स्कूल ने दो साल पहले, 2023 में, डांग क्षेत्र विकास योजना के तहत मरम्मत के नाम पर 1 लाख 80 हजार रुपये की राशि उठाई थी. लेकिन ऐसा लगता है कि उस राशि का कोई उपयोग नहीं हुआ, अन्यथा यह हादसा नहीं होता.
आठवीं कक्षा की एक बच्ची ने बताया कि हादसे वाले दिन सुबह बच्चे स्कूल आए और अपनी कक्षा में चले गए. लेकिन क्लास में छत से कंकड़-पत्थर गिरने लगे, जिसके बाद बच्चे टीचर को बताने गए जो उस वक्त क्लास से बाहर थे. सुबह जिस वक्त हादसा हुआ, तब स्कूल में एक ही टीचर आया था और वह बाहर नाश्ता कर रहा था.
बच्ची ने कहा, छत से पत्थर और कंकड़ गिरने लगे थे, सर बाहर पोहा खा रहे थे, हम उन्हें बताने गए लेकिन उन्होंने बच्चों को डांट-डपटकर वापस क्लास में भेज दिया, और इसके दो-तीन मिनट बाद ही छत गिर गई.
बताया जा रहा है कि झालावाड़ में लगभग 50 ऐसे स्कूल हैं जिनकी हालत जर्जर है. पिछले दिनों शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और विधायक भी मनोहर थाना क्षेत्र आए थे और उन्हें भी स्कूलों की हालत के बारे में बताया गया था.
एक स्थानीय निवासी राधेश्याम ने बताया, गांव के लोग पहले भी लिखित में दे चुके हैं कि ऐसी हालत में बच्चों को नहीं बिठाया जाना चाहिए. पहले भी एक बार गांव के लोगों ने यहां की हालत पर कार्रवाई नहीं होते देख स्कूल में ताला लगा दिया था, रास्ता भी जाम किया था, पर कुछ नहीं हुआ.
एक ग्रामीण राकेश ने बताया, पहले भी कई बार शिकायत की थी. सरपंच से भी कहा था. पिछले साल भी उनसे कहा था कि मरम्मत करवाएं, पर नहीं करवाई. पहले भी पत्थर गिरते थे, पर वो बच्चों से कहते थे कि जब पत्थर गिरे तो भाग जाएं.
झालावाड़ स्कूल हादसे को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. प्रशासन की लापरवाही और जर्जर स्कूलों के प्रति उदासीनता ने कई मासूमों की जान ले ली. इस घटना की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.
*राजस्थान: हादसे में बच सकती थी मासूमों की जान, सुनें चश्मदीद ने क्या बताया#Rajasthan | #School | @chandn_bhardwaj pic.twitter.com/R1OqghiwFC
— NDTV India (@ndtvindia) July 25, 2025
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