UNSC में गाजा पर भारत का कड़ा रुख, वॉशिंगटन से तेल अवीव तक हलचल
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गाजा में इजरायल और हमास के बीच युद्ध के कारण मानवीय स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने इस संघर्ष पर पहली बार स्पष्ट और कड़ा रुख अपनाते हुए महत्वपूर्ण बयान दिया है।

भारत ने गाजा में उत्पन्न गंभीर मानवीय संकट पर गहरी चिंता व्यक्त की है और तुरंत युद्धविराम लागू करने की अपील की है। भारत के इस रुख से अमेरिका समेत इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी आश्चर्यचकित हो सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वथानेनी हरीश ने न्यूयॉर्क में एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान मध्य पूर्व में जारी तनाव और फिलिस्तीन संकट पर भारत का पक्ष रखा।

राजदूत हरीश ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा कि क्षेत्र में जारी मानवीय संकट को रोकने के लिए युद्धविराम लागू करना और संवाद के माध्यम से शांति स्थापित करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने सभी पक्षों से संयम बरतने, बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने और मानवीय सहायता को सुरक्षित और समयबद्ध तरीके से पहुंचाने की अपील की।

राजदूत हरीश ने ज़ोर दिया कि मौजूदा संकट का स्थायी समाधान केवल बातचीत और कूटनीति से ही संभव है।

उन्होंने कहा कि आगे की दिशा स्पष्ट है और भारत लगातार इस मुद्दे पर सहयोग करता रहा है। वर्तमान में जो मानवीय संकट जारी है, उसे किसी भी सूरत में और नहीं चलने देना चाहिए। इसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाना बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि मध्य पूर्व में अन्य देशों की मदद बेहद अहम है, इसलिए यह सहायता समय पर और सुरक्षित तरीके से पहुंचाई जानी चाहिए।

मिडिल ईस्ट में स्थायी समाधान केवल शांति के मार्ग से ही संभव है। इसके लिए सबसे पहले युद्धविराम लागू किया जाना आवश्यक है। साथ ही, जिन लोगों को बंधक बनाया गया है, उनकी तत्काल रिहाई भी उतनी ही जरूरी है। इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संवाद और कूटनीतिक प्रयास ही एकमात्र प्रभावी रास्ता हैं।

भारत के राजदूत ने कहा कि भारत हमेशा समावेशी दृष्टिकोण अपनाता है और किसी को पीछे न छोड़ने की नीति पर आज भी पूरी तरह कायम है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, गाजा में लगभग 95% अस्पताल इस संघर्ष में पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। वहीं, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की रिपोर्ट बताती है कि 6.5 लाख से अधिक बच्चे पिछले 20 महीनों से शिक्षा से वंचित हैं।

भारत लगातार सकारात्मक दिशा में प्रयासरत है और यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह मानवीय संकट और अधिक न बढ़े।

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