हिमाचल में मौत का तांडव: 135 की जान गई, सड़कें हुईं तबाह, घर ढहे
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हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश ने जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के अनुसार, प्राकृतिक आपदाओं से 135 लोगों की जान जा चुकी है, सैकड़ों परिवार बेघर हो गए हैं।

20 जून से अब तक 25 भूस्खलन, 40 फ्लैश फ्लड और 23 बादल फटने की घटनाएं हुई हैं। मानव जीवन के साथ जानवरों और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है।

अब तक हुई 135 मौतों में से 76 बारिश से जुड़ी घटनाओं जैसे भूस्खलन, बादल फटने, फ्लैश फ्लड और करंट लगने से हुई हैं। सड़क दुर्घटनाओं में 59 लोगों ने जान गंवाई है।

सबसे अधिक जानमाल का नुकसान मंडी (17 मौतें), कांगड़ा (16), कुल्लू (8) और चंबा (7) जिलों में हुआ है। कांगड़ा में फ्लैश फ्लड, मंडी में बादल फटना तथा शिमला-सोलन में भूस्खलन से दर्जनों घर और पुल बह गए हैं। कृषि भूमि, पशु शेड और सड़क नेटवर्क भी बुरी तरह तबाह हो गए हैं।

राज्य में अब तक 540 घर पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं, हजारों लोग बेघर हो गए हैं। 1,296 मवेशियों और 21,500 मुर्गियों की मौत भी हुई है, जिससे ग्रामीण इलाकों में आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

राज्य के विभिन्न जिलों में 432 सड़कें बंद हैं, 534 पावर ट्रांसफॉर्मर बंद पड़े हैं। 197 जलापूर्ति योजनाएं भी प्रभावित हैं, जिससे लोगों को पीने के पानी के लिए जूझना पड़ रहा है।

SDMA के अनुसार, हिमाचल को अब तक करीब ₹1,24,734.67 लाख का नुकसान हो चुका है। लोक निर्माण विभाग (PWD), जल शक्ति विभाग (JSV), बिजली विभाग, शिक्षा, पशुपालन और ग्रामीण विकास से जुड़े ढांचे को भी भारी क्षति पहुंची है।

NDRF, SDRF और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से राहत व बचाव कार्य जारी हैं। प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविर बनाए गए हैं। मृतकों के परिजनों और बेघर लोगों को मुआवजा राशि दी जा रही है।

SDMA ने लोगों से भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहने, मौसम की चेतावनियों को गंभीरता से लेने और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करने की अपील की है।

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