सीरिया के राष्ट्रपति अहमद-अल-शारा के राजधानी दमिश्क छोड़कर भागने की खबरें सोशल मीडिया पर फैली थीं. लेबनान से संचालित कुछ हैंडल्स ने दावा किया कि इजरायल की सैन्य कार्रवाई के डर से राष्ट्रपति का परिवार भी उनके साथ फरार हो गया है.
हालांकि, यह दावा पूरी तरह सच नहीं है. अहमद-अल-शारा दमिश्क में नहीं हैं, लेकिन इसका कारण इजरायली डर नहीं है. दरअसल, वह सऊदी अरब से आए एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल से मिलने गए थे, जिन्होंने सुरक्षा कारणों से दमिश्क के बजाय किसी अन्य शहर में मुलाकात का प्रस्ताव रखा था. दिलचस्प बात यह है कि डोनाल्ड ट्रंप और सीरियाई राष्ट्रपति की पहली मुलाकात में भी सऊदी अरब ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सऊदी प्रतिनिधिमंडल ने सीरिया से अमेरिकी व्यापारिक हितों पर भी बातचीत की. इससे सवाल उठता है कि क्या ट्रंप मध्य पूर्व में एक और तालिबान खड़ा करना चाहते हैं? इसे समझने के लिए, ट्रंप की सीरिया नीति पर ध्यान देना होगा.
अहमद-अल-शारा से मुलाकात के बाद ट्रंप ने सीरिया पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में ढील दी थी. उन्होंने अमेरिकी कंपनियों को सीरिया में निवेश करने का आश्वासन दिया और अहमद-अल-शारा के संगठन में शामिल विदेशी आतंकियों पर से भी प्रतिबंध हटा दिया. सामरिक जानकारों का मानना है कि ट्रंप मध्य पूर्व में तालिबान की तरह एक ऐसा आतंकी संगठन खड़ा करना चाहते हैं, जो अमेरिका के इशारों पर चले और अपनी फंडिंग भी खुद कर सके. इससे ईरान जैसी ताकतों और उनके समर्थक संगठनों को काबू किया जा सके.
सीरिया के पास तेल के भंडार हैं, जो आय का एक प्रमुख स्रोत हैं. गृहयुद्ध से पहले सीरिया में प्रतिदिन 4 लाख बैरल तेल का उत्पादन होता था, जो 2014 से 2019 के बीच घटकर 34 हजार बैरल प्रतिदिन हो गया. ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका की मदद से सीरिया दोबारा तेल उत्पादन बढ़ाए ताकि अहमद-अल-शारा वही हैसियत हासिल कर पाएं, जो दक्षिण एशिया में तालिबान की है.
हालांकि, ट्रंप की इस योजना में एक बाधा आ सकती है: इजरायल. इजरायल ने हाल ही में सीरिया के सीमावर्ती इलाकों से लेकर राजधानी दमिश्क तक बमबारी की थी. इजरायल ने सीरिया के अल्पसंख्यक DRUZE मुसलमानों की सुरक्षा का हवाला देकर यह सैन्य अभियान चलाया था.
इजरायल अपनी सीमा के नजदीक तालिबान जैसी किसी शक्ति का उदय नहीं चाहता. इजरायल हिज्बुल्ला, हूती और हमास के आतंकियों से लड़ चुका है, जिनके पास हथियार थे लेकिन अपनी फंडिंग के साधन नहीं. अगर सीरिया में HTS के आतंकियों को तेल के जरिए पैसा कमाने का जरिया मिल गया, तो वे तालिबान की तरह मजबूत हो जाएंगे, जो इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है.
#DNAWithRahulSinha | यूएस ने नया तालिबान ...इजरायल का घमासान, ट्रंप के तालिबान 3.0 प्लान का DNA टेस्ट
— Zee News (@ZeeNews) July 22, 2025
क्या सीरिया का राष्ट्रपति मुल्क छोड़कर भागा ?#DNA #Syria #UnitedStates #DonaldTrump @RahulSinhaTV pic.twitter.com/lIyfV0Dlaj
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