सिर्फ़ एक घंटे में ऐसा क्या हो गया? धनखड़ के इस्तीफे पर विपक्ष के सवाल!
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उन्होंने यह इस्तीफा अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सौंपा।

धनखड़ के इस अप्रत्याशित इस्तीफे पर विपक्ष के नेताओं ने सवाल खड़े कर दिए हैं। उनकी सेहत को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल और कांग्रेस सांसद इमरान मसूद समेत कई नेताओं ने धनखड़ के इस्तीफे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस्तीफे पर हैरानी जताते हुए कहा, वे पूरे दिन संसद भवन में थे। सिर्फ एक घंटे में ऐसा क्या हो गया कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा? हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें लंबी और स्वस्थ जिंदगी दें। मुझे इसका कारण समझ नहीं आ रहा है।

शिवसेना (UBT) सांसद आनंद दुबे ने भी उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, उपराष्ट्रपति के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने की खबर चिंताजनक है। हम उनकी कुशलता की कामना करते हैं। हालांकि, एक सवाल उठता है कि आज मानसून सत्र का पहला दिन था। उसी दिन उनका इस्तीफा देना लोगों को हैरान करता है। इस सरकार में क्या चल रहा है? यह फैसला बिना किसी उचित परामर्श या चर्चा के लिया गया। अगर स्वास्थ्य ही चिंता का विषय था, तो इस्तीफा सत्र से कुछ दिन पहले या बाद में भी दिया जा सकता था।

कपिल सिब्बल ने धनखड़ के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए कहा, मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं, क्योंकि मैं दुखी हूं। मेरे उनके साथ बहुत अच्छे संबंध हैं। मैं उन्हें 30-40 सालों से जानता हूं। हम एक-दूसरे के साथ थे। हम कई मामलों में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हुए हैं। हमारे बीच एक अनोखा रिश्ता है।

सिब्बल ने आगे कहा, मैंने हमेशा उनका सम्मान किया है। उन्होंने भी मेरा सम्मान किया है। वह हमारे कुछ पारिवारिक समारोहों में शामिल हुए हैं। मुझे दुख है और मुझे उम्मीद है कि वह स्वस्थ हों और दीर्घायु हों। मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।

सिब्बल ने अपने और धनखड़ के बीच के मजबूत रिश्ते को याद करते हुए बताया, हमारे राजनीतिक विचारों को लेकर भले ही हमारे बीच मतभेद रहे हों, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर हमारे बीच एक बहुत ही मज़बूत रिश्ता था। जब भी मुझे सदन में बोलने के लिए समय की आवश्यकता होती थी, मैं उनसे उनके कक्ष में व्यक्तिगत रूप से मिलता था। उन्होंने मुझे कभी मना नहीं किया, बल्कि मुझे स्वतंत्र सांसदों को मिलने वाले समय से थोड़ा ज़्यादा समय दिया।

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