प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कनाडा सहित तीन देशों के दौरे पर रवाना हो चुके हैं. मुख्य पड़ाव जी7 समिट है, जो 16-17 जून को कनाडा में होगी. पीएम मोदी ने साइप्रस और क्रोएशिया की यात्रा को भी इस दौरे में शामिल किया है. यह यात्रा पहले से तय नहीं थी, लेकिन बदलती वैश्विक परिस्थितियों के कारण इसे योजना में शामिल किया गया.
साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स ने हवाई अड्डे पर पीएम मोदी का स्वागत किया. पिछले दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली साइप्रस यात्रा है. इसके बाद पीएम मोदी कनाडा जाएंगे और जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. दौरे के अंत में, पीएम मोदी क्रोएशिया जाएंगे, जहाँ वे अपने समकक्ष आंद्रेज प्लेनकोविक से मिलेंगे. यह क्रोएशिया में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला आधिकारिक दौरा होगा.
विशेषज्ञ इस यात्रा को पीएम मोदी का स्मार्ट मूव बता रहे हैं. उनके अनुसार, पीएम मोदी का साइप्रस और क्रोएशिया का दौरा यह दर्शाता है कि भारत क्षेत्रीय और वैश्विक कूटनीति में बड़ी भूमिका निभाने का इच्छुक है. यह तुर्की के लिए भी एक रणनीतिक संदेश है, जो कश्मीर और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है.
विदेश नीति के जानकारों के अनुसार, भारत इन दोनों देशों की यात्रा करके तुर्की सहित पूरी दुनिया को एक विशेष संदेश दे रहा है.
साइप्रस और क्रोएशिया दोनों यूरोपीय संघ (ईयू) के सदस्य हैं, और साइप्रस 2026 में ईयू परिषद की अध्यक्षता करेगा. पीएम मोदी साइप्रस की यात्रा करके ईयू के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत कर रहे हैं. यह कदम तुर्की के लिए एक कूटनीतिक चुनौती है.
साइप्रस के साथ भारत के मजबूत संबंध हैं. उसने कश्मीर और यूएनएससी में स्थाई सीट जैसे मुद्दों पर भारत का समर्थन किया है. वहीं तुर्की के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण रहे हैं. तुर्की ने 1974 में हमला करके साइप्रस के उत्तरी इलाके पर कब्जा कर लिया था. पीएम मोदी का दौरा तुर्की को संदेश देता है कि भारत उसके क्षेत्रीय प्रभाव को संतुलित करने के लिए साइप्रस और ग्रीस जैसे देशों के साथ गठबंधन मजबूत कर रहा है.
पीएम मोदी की यह यात्रा पिछले 23 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा है. इस यात्रा से दोनों देशों के संबंधों में मजबूती आएगी, जिससे तुर्की की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और असहजता बढ़ेगी. भारत साइप्रस की एकता-अखंडता का समर्थन करता रहा है, जिसका अर्थ है कि वह तुर्की को साइप्रस से अपना कब्जा छोड़ने के लिए कहता रहा है.
साइप्रस और ग्रीस, तुर्की के पड़ोसी देश हैं, जिनका तुर्की के साथ सीमा विवाद है. तुर्की ने इन दोनों देशों की जमीन कब्जा रखी है. ग्रीस और साइप्रस ने भी आतंकवाद और कश्मीर जैसे मुद्दों पर भारत का समर्थन किया है.
तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर कब्जा कर रखा है और पूर्वी भूमध्य सागर में गैस अन्वेषण जैसे मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाया है. पीएम मोदी की यात्रा तुर्की को संकेत देती है कि भारत उसके विरोधियों को समर्थन देकर उसकी नीतियों को चुनौती दे सकता है.
कुल मिलाकर, यह यात्रा भारत की रणनीतिक चाल है, जो तुर्की को यह संदेश देती है कि भारत न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है और तुर्की-पाकिस्तान गठजोड़ के खिलाफ सक्रिय कदम उठा रहा है.
India looks forward to deepening friendship with Cyprus!
— Narendra Modi (@narendramodi) June 15, 2025
Here are highlights from the welcome today… pic.twitter.com/JOU7lzF9EJ
बिहार में किसकी सरकार? ओपिनियन पोल ने बताया, किसे लगेगा झटका!
विजय सेतुपति की ऐस करेगी आपको खूब हंसाने और सोचने पर मजबूर, IMDb पर मिली 7.5 रेटिंग!
IPL 2025: अय्यर दोहराया गया इतिहास! पाटीदार को भी नहीं, कोहली को मिला जीत का श्रेय!
राजस्थान पुलिस: मुल्जिम नहीं, आरोपी कहो! हिंदी में होगा कामकाज
पीएम शहबाज़ शरीफ़ की बड़ी चूक: कंडम की जगह लिखा कंडोम , सोशल मीडिया पर उड़ा मज़ाक!
सोनिया गांधी दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती, पेट संबंधी समस्या से जूझ रहीं
F-35B की भारत में इमरजेंसी लैंडिंग: तकनीकी खराबी से मचा हड़कंप
केदारनाथ हेलीकॉप्टर क्रैश: कंपनी पर बड़ी कार्रवाई, सेवाएं निलंबित!
पुणे पुल हादसा: मेरे परिवार का पुनर्जन्म हुआ, हादसे के वक्त 150-200 लोग थे पुल पर
एक बार फिर पीएम मोदी बेनकाब! विदेश दौरे पर कांग्रेस का हमला, शेयर किया पुराना वीडियो