भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य 10 जून को फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से एक्सिओम स्पेस की चौथी मानव अंतरिक्ष उड़ान पर रवाना होंगे.
लगभग 28 घंटे की यात्रा के बाद 11 जून को भारतीय समयानुसार रात लगभग 10 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचने की संभावना है.
एक्सिओम-4 मिशन के पायलट शुक्ला के अलावा, अन्य चालक दल में पोलैंड से स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की और हंगरी से टिबोर कापू और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन शामिल हैं.
शुक्ला, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे. राकेश शर्मा ने 1984 में रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष की यात्रा की थी.
नासा ने कहा कि कंपनी के फाल्कन 9 रॉकेट के जरिये प्रक्षेपण के बाद चालक दल नए स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर परिक्रमा प्रयोगशाला की यात्रा करेगा.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने अंतरिक्ष उड़ान की तैयारियों की समीक्षा के लिए पिछले सप्ताह एक्सिओम स्पेस का दौरा किया था.
यात्रा की तैयारी के लिए अंतरिक्ष यात्री 25 मई से ही पृथक-वास में हैं और 10 जून को प्रक्षेपण से पहले प्रशिक्षण ले रहे हैं.
एक्सिओम स्पेस ने कहा, एक्स4 चालक दल व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त करता है, जिसमें पानी के नीचे से बच निकलने के अभ्यास शामिल हैं.
ISS में 14 दिन के प्रवास के दौरान, एक्स-4 चालक दल के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, स्कूली छात्रों और अंतरिक्ष उद्योग के नेताओं के साथ बातचीत करने की उम्मीद है.
व्हिटसन ने कहा, हम प्रक्षेपण के लिए पूरी तरह तैयार हैं, हमने सभी प्रशिक्षण पूरे कर लिए हैं और टीम के बीच अच्छा तालमेल है.
शुक्ला ने अंतरिक्ष उड़ान के लिए एक वर्ष तक चले प्रशिक्षण को परिवर्तनकारी कदम बताया.
शुक्ला ने कहा, जब मैं अंतरिक्ष में जा रहा हूं, तो सिर्फ उपकरण नहीं ले जा रहा हूं, बल्कि मैं एक अरब दिलों की उम्मीदें और सपने भी ले जा रहा हूं.
शुक्ला नासा के सहयोग से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के बीच सहयोग के तहत विकसित विशेष खाद्य और पोषण संबंधी प्रयोगों का संचालन करने के लिए तैयार हैं.
इन प्रयोगों का उद्देश्य भविष्य में लम्बी अवधि की अंतरिक्ष यात्रा के लिए आवश्यक अंतरिक्ष पोषण और आत्मनिर्भर जीवन समर्थन प्रणालियों का विकास करना है.
इसरो ने शुक्ला के लिए 7 प्रयोगों की एक श्रृंखला तैयार की है जो नासा द्वारा अपने मानव अनुसंधान कार्यक्रम के लिए नियोजित पांच संयुक्त अध्ययनों में भी भाग लेंगे.
शुक्ला बीजों को मैक्रोबायोटिक परिस्थितियों में भी रखेंगे और उन्हें वापस धरती पर लाएंगे, जहां उन्हें पौधों में कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा.
शुक्ला ने कहा कि एक्सिओम मिशन 4 के अनुभव का उपयोग गगनयान मिशन में किया जाएगा, जिसकी योजना 2027 के लिए बनाई गई है.
इसरो एक्सिओम-4 मिशन पर 550 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है.
The #Ax4 crew undergoes extensive emergency training, featuring a range of scenarios such as underwater escape drills. pic.twitter.com/Mwoeb9fk51
— Axiom Space (@Axiom_Space) June 6, 2025
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