राजस्थान में सियासत गरमाई: गहलोत के घर पायलट, 2 घंटे की मुलाकात से हलचल
News Image

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सरकारी आवास पर जाकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। ये पहली बार है जब पायलट गहलोत के आवास पर पहुंचे हैं, जहां गहलोत कई सालों से रहते हैं।

दोनों नेताओं के बीच पिछले कुछ सालों से अनबन चल रही थी, इसलिए इस मुलाकात को राजनीतिक शिष्टाचार से बढ़कर देखा जा रहा है। यह मुलाकात कांग्रेस में एकता और सुलह की तरफ इशारा करती है।

पायलट ने गहलोत को अपने स्वर्गीय पिता राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का निमंत्रण देने के लिए गहलोत के घर पहुंचे थे। ये श्रद्धांजलि सभा 11 जून को दौसा जिले के भंडाना-जीरोता गाँव में होगी। पायलट खुद इस कार्यक्रम के आयोजक हैं और चाहते हैं कि कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता इसमें शामिल हों।

पायलट और गहलोत के बीच लगभग दो घंटे तक बंद कमरे में चर्चा हुई। इस मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या कांग्रेस आलाकमान अब राजस्थान में दोनों गुटों को फिर से एक करने की कोशिश कर रहा है।

मुलाकात के बाद गहलोत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पायलट उन्हें राजेश पायलट की पुण्यतिथि के कार्यक्रम का निमंत्रण देने आए थे। उन्होंने कहा कि वे और राजेश पायलट 1980 में एक साथ लोकसभा पहुंचे थे और लगभग 18 वर्षों तक साथ काम किया। गहलोत के इस बयान को एक भावनात्मक और राजनीतिक रूप से संतुलित संदेश माना जा रहा है।

राजेश पायलट की विरासत और दौसा का महत्व राजस्थान की राजनीति में बहुत अधिक है। वह एक कद्दावर नेता थे। 11 जून 2000 को एक सड़क हादसे में उनका निधन हो गया था। वो कई बार दौसा से सांसद रहे। दौसा आज भी पायलट परिवार की राजनीतिक और भावनात्मक भूमि बनी हुई है।

साल 2018 में जब कांग्रेस ने राजस्थान में सत्ता में वापसी की थी, तब सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। लेकिन पार्टी आलाकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री और पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया, जिससे असंतोष शुरू हो गया। 2020 में पायलट गुट ने खुले तौर पर बगावत कर दी। हालांकि मामला शांत हुआ, लेकिन दोनों नेताओं के बीच की दूरी बनी रही।

खास बात ये भी है कि गहलोत और उनके समर्थक राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर आयोजित आयोजनों में शामिल नहीं होते थे। लेकिन इस बार पायलट द्वारा दिए गए निमंत्रण को गहलोत ने स्वीकार किया, जो एक बड़ा राजनीतिक संकेत माना जा रहा है।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह मुलाकात सिर्फ औपचारिकता नहीं थी बल्कि इसके पीछे गहरा राजनीतिक संदेश छिपा है। हाल ही में लोकसभा चुनावों में राजस्थान में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। इसलिए पार्टी आलाकमान दोनों नेताओं को सुलह और एकजुटता की राह पर लाने की कोशिश कर सकता है।

अब सबकी नजर 11 जून पर है। अगर गहलोत इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं तो ये साफ संकेत होगा कि कांग्रेस अब आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए गुटबाजी को भुला कर एकजुट होने की कोशिश कर रही है।

*

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

रिंकू सिंह का जिगरी यार बना करोड़पति, एल्विश यादव का टूटा सपना!

Story 1

मनाली में मौत से सामना: जिपलाइन टूटने से 30 फीट गहरी खाई में गिरी युवती!

Story 1

तुर्की के दोस्त पाकिस्तान को पीएम मोदी का करारा जवाब, साइप्रस में ग्रीन लाइन का दौरा!

Story 1

IPL के बाद भी दिग्वेश राठी का कहर, 5 गेंदों में 5 विकेट

Story 1

एयर इंडिया विमान दुर्घटना: मलबे से अकेले बचे रमेश विश्वास का नया वीडियो सामने आया

Story 1

विजय सेतुपति की ऐस करेगी आपको खूब हंसाने और सोचने पर मजबूर, IMDb पर मिली 7.5 रेटिंग!

Story 1

विजय रूपाणी का अंतिम संस्कार: इस दुख में हमें जो चाहिए...

Story 1

यशस्वी जायसवाल: शाहिद अफरीदी का विश्व रिकॉर्ड खतरे में, युवा सुपरस्टार इतिहास रचने को तैयार

Story 1

एयर इंडिया विमान दुर्घटना: चमत्कार! आग के बीच से ज़िंदा निकले विश्वास कुमार रमेश का वीडियो वायरल

Story 1

यूरोप की ओर अमेरिकी विशाल उड़ते पेट्रोल पंप , बढ़ी सैन्य हलचल!