पाकिस्तान में इस्लामिक धार्मिक शिक्षा के नाम पर चलने वाले मदरसों की भयानक सच्चाई फ्रांसीसी अंतरराष्ट्रीय समाचार नेटवर्क France 24 की एक खोजी रिपोर्ट में सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश के हजारों मदरसों में बच्चों के साथ यौन हिंसा, शारीरिक उत्पीड़न और अमानवीय व्यवहार एक संस्थागत और गहराई से जड़ें जमा चुकी समस्या है.
पाकिस्तान में अनुमानित 36,000 से अधिक पंजीकृत और अपंजीकृत मदरसे हैं, जिनमें लगभग 22 लाख से अधिक बच्चे इस्लामिक शिक्षा के लिए नामांकित हैं. इनमें से एक बड़ा हिस्सा गरीब ग्रामीण परिवारों से आता है, जो बेहतर भविष्य की आशा में बच्चों को मदरसों में भेजते हैं. इन संस्थानों में कई बार बच्चों को 24 घंटे आवासीय माहौल में रखा जाता है, जहां उनकी देखरेख का जिम्मा पूरी तरह से शिक्षक और मौलवियों पर होता है. लेकिन France 24 की रिपोर्ट के मुताबिक, यही संरचना इन बच्चों के लिए दुर्व्यवहार और शोषण का बंद दरवाजों वाला दायरा बन जाती है.
रिपोर्ट में कुछ पीड़ित बच्चों के साथ गोपनीयता बनाए रखते हुए इंटरव्यू किए गए. एक 14 वर्षीय किशोर ने बताया, हमारे गांव के सभी लड़के जानते थे कि मदरसे में ऐसा होता है, पर मुझे यकीन नहीं था कि मेरे साथ होगा. जब हुआ, तो मैं घंटों रोता रहा. कोई सुनने वाला नहीं था.
एक अन्य किशोर ने बताया कि उसे उसके शिक्षक ने अपने घर बुलाकर शारीरिक शोषण किया. किशोर ने कहा, उसने दरवाज़ा बंद किया, मेरे कपड़े उतारे और मेरे साथ जबरदस्ती की. मैं डर के मारे चिल्ला भी नहीं पाया.
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी मदरसों पर इस तरह के गंभीर आरोप लगे हैं. 2017 में Associated Press की एक विस्तृत रिपोर्ट ने इस विषय को अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में लाया था, जिसमें पुलिसकर्मियों, पीड़ितों, परिवारों और मदरसों में कार्यरत लोगों के बयान दर्ज किए गए थे. 2023 में पंजाब के चकवाल ज़िले के एक अनपंजीकृत मदरसे में दो मौलवियों को यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. लाहौर में एक कॉलेज परिसर में हुए कथित बलात्कार की घटना के बाद छात्रों ने प्रदर्शन किया, जिस पर प्रशासन ने बल प्रयोग किया.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग ना के बराबर होती है, और बहुत से पीड़ित डर, शर्म और सामाजिक बहिष्कार के डर से सामने नहीं आते. कई मामलों में स्थानीय प्रशासन और धार्मिक संस्थाएं शिकायतों को दबा देती हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा प्रतीत होता है कि राजनीतिक और धार्मिक ताकतें इस व्यवस्था को मौन समर्थन देती हैं, जिससे कानूनी कार्रवाई मुश्किल हो जाती है.
France 24 की यह रिपोर्ट वैश्विक मानवाधिकार संगठनों, यूनिसेफ, और मुस्लिम जगत के ज़िम्मेदार धार्मिक नेताओं के सामने एक कठोर प्रश्न खड़ा करती है कि, क्या धार्मिक शिक्षा के नाम पर किसी भी राष्ट्र को बच्चों की सुरक्षा की उपेक्षा करने का अधिकार है?
Reporters - Pakistan, broken innocence: An exclusive investigation into sexual violence at madrasas
— FRANCE 24 (@FRANCE24) June 6, 2025
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