कोपेनहेगन में भारत विरोधी नारे: रविशंकर प्रसाद का करारा जवाब, पाकिस्तान को बताया हताश देश
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भारतीय जनता पार्टी के सांसद रविशंकर प्रसाद ने कोपेनहेगन में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी स्थल के बाहर भारत विरोधी नारे लगाने वाले पाकिस्तानी नागरिकों पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि ये लोग हताशा में यहां आए हैं और लोगों को उन्हें अनदेखा करने की सलाह दी।

कोपेनहेगन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रसाद ने कहा कि यह व्यवधान संभवतः आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत रुख को व्यक्त करने के लिए चल रहे वैश्विक आउटरीच कार्यक्रम की व्यापक कवरेज के कारण हुआ है।

प्रसाद ने कहा, मैं यहां पाकिस्तानियों को नारे लगाते देख कर बहुत हैरान था। हमारा कार्यक्रम बहुत अच्छा चल रहा है और हमें व्यापक कवरेज मिल रही है। पाकिस्तान में उनके आकाओं ने उन्हें कुछ करने के लिए कहा होगा। वे हताशा में यहां आए हैं। पाकिस्तान एक हताश देश है जो हताशा में जी रहा है। उन्हें बिना किसी दंड के नजरअंदाज किया जा रहा है।

इस दौरान रविशंकर प्रसाद ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर प्रकाश डाला और उन क्षेत्रों में नागरिकों की दुर्दशा पर भी बात की।

प्रसाद ने सवाल किया, पीओके में लोगों के साथ किस तरह का दुर्व्यवहार हो रहा है, क्या आप जानते हैं? वे भारत में आने के लिए रो रहे हैं। बलूचिस्तान में महिलाओं के साथ सबसे बर्बर व्यवहार किया जा रहा है। पाकिस्तान आज बहुत परेशान है।

उन्होंने आगे कहा, हमने चार पारंपरिक युद्ध लड़े, इनमें से कोई भी भारत ने शुरू नहीं किया, हमने केवल जवाब दिया और पाकिस्तान सभी युद्ध हार गया। जिन्ना ने पाकिस्तान बनाया, वह जनरल की दुकान बन गई।

रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सांसद दग्गुबाती पुरंदेश्वरी, समिक भट्टाचार्य, शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, कांग्रेस सांसद गुलाम अली खटाना और अमर सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर और राजदूत पंकज सरन शामिल हैं।

इस डेलीगेशन को दुनियाभर में भेजने का मकसद पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग करना है। यह प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के मुद्दे पर दुनियाभर में पाकिस्तान की पोल खोल रहा है ताकि पाकिस्तान को समर्थन ना मिले। इसका एक उद्देश्य पाकिस्तान को वापस FATF की ग्रे लिस्ट में डलवाना भी है, ताकि उसे फंड्स ना मिलें और अगर मिलें भी तो उन पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी हो, जिससे पाकिस्तान आतंकवाद का वित्तपोषण ना कर सके। साथ ही, आतंकवाद के मामले पर पाकिस्तान पर लगाम लगाई जा सके।

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