पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर चल रही बहस अब राष्ट्रवाद से राजनीति की ओर बढ़ रही है. बीजेपी को सत्ता में होने का फायदा मिल रहा है, वहीं विपक्ष में होने के कारण कांग्रेस का धैर्य टूट रहा है.
शुरुआत में सरकार के हर फैसले के साथ रहने का वादा करने वाली कांग्रेस अब केंद्र सरकार पर हमलावर है. ऑपरेशन सिंदूर से पहले और बाद में हुई सर्वदलीय बैठकों में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित सभी विपक्षी नेताओं ने सरकार को हर कदम पर साथ देने का भरोसा दिलाया था. हालांकि, विपक्ष को इस बात पर आपत्ति थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी मीटिंग में नहीं पहुंचे, जिनकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी.
पहलगाम हमले के बाद बिहार में प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवादियों को मिट्टी में मिला देने का वादा किया था, जिसे उन्होंने राजस्थान में भी दोहराया और पाकिस्तान को चेतावनी दी.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर खोखला भाषण देने का आरोप लगाया है और उनसे सवाल किया है कि उन्होंने आतंकवाद पर पाकिस्तान की बात पर भरोसा क्यों किया? राहुल गांधी का यह सवाल सीजफायर को लेकर है.
उनका आरोप है कि सरकार अमेरिका के दबाव में झुक गई है और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को रोककर सीजफायर पर समझौता कर लिया है. राहुल गांधी के इन सवालों ने 2020 के गलवान घाटी में सेना के जवानों के चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष की याद दिला दी है.
बीकानेर की सभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, मोदी का दिमाग ठंडा है लेकिन मेरे अंदर लहू गर्म बहता है... मोदी की नसों में गर्म सिंदूर बह रहा है... 22 अप्रैल के आतंकवादी हमले का बदला सेना ने 22 मिनट में लिया...
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया पर लिखा है, तुम मुझे सिंदूर दो, मैं तुम्हें सीजफायर दूंगा.
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से तीन सवाल पूछे हैं:
राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया है कि मोदी ने भारत के सम्मान से समझौता कर लिया है.
राहुल गांधी सीजफायर को लेकर जनता में उभरे गुस्से को और उभारने की कोशिश कर रहे हैं.
पहले राहुल गांधी ऑपरेशन सिंदूर पर धैर्य बनाए हुए थे. वरना, उरी अटैक के बाद सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर तो राहुल गांधी खुद बीजेपी और मोदी पर खून की दलाली जैसे इल्जाम लगा चुके हैं, और 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भी चुनावी माहौल गर्म होते देर नहीं लगी थी. 2020 के बिहार चुनाव से पहले गलवान घाटी संघर्ष के मुद्दे पर भी ऐसे ही बवाल हो रहा था.
ऐसा देखने को मिला है कि जैसे ही बीजेपी की तरफ से उकसाने की कोशिश होती है, राहुल गांधी राजनीतिक तरीके से मुकाबले के बजाय गुस्से में आ जाते हैं और पब्लिक ओपिनियन की भी परवाह नहीं करते. बिल्कुल ऐसा ही नजारा तब भी देखने को मिला था जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी.
सीजफायर होने के बाद जनता में भी केंद्र की बीजेपी सरकार पर गुस्सा देखा गया था. कांग्रेस थोड़े धैर्य से काम लेती तो अच्छे से भुना सकती थी, लेकिन हड़बड़ी में बड़ा मौका गवां दिया.
अब दोनों तरफ से पोस्टर वार शुरू हो गई है. बीजेपी राहुल गांधी को पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर के साथ तस्वीर बनाकर पेश कर रही है, तो कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी को आमने सामने कर AI से संवाद करा रही है.
रक्षा मंत्री रह चुके शरद पवार ने कहा था, सैनिक कब और कहां हथियार के साथ रहेंगे, और कहां नहीं, ये अंतरराष्ट्रीय समझौतों के मुताबिक तय होता है... ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर कुछ भी बोलते वक्त लोगों को सावधानी बरतनी चाहिये. वैसी ही सलाहियत शरद पवार की तरफ से एक बार फिर आई है
*कौन ज़िम्मेदार है? pic.twitter.com/UsRSWV6mKs
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 18, 2020
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