सावधान! दाढ़ी, खूबसूरती नहीं, बीमारी: टॉयलेट सीट से भी ज्यादा बैक्टीरिया!
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एक रिसर्च रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा किया गया है कि पुरुषों की दाढ़ी में टॉयलेट सीट से भी ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं। मशहूर लेखक विलियम शेक्सपियर भले ही दाढ़ी को परिपक्वता का प्रतीक मानते थे, लेकिन आधुनिक विज्ञान कुछ और ही कह रहा है।

दुनिया में लगभग 176 करोड़ लोग फुल दाढ़ी रखते हैं, जबकि भारत में 30 करोड़ से ज्यादा लोग दाढ़ी रखने के शौकीन हैं। ऐसे में यह रिपोर्ट इन करोड़ों लोगों के लिए एक गंभीर चेतावनी है।

न्यूयॉर्क के वील कॉर्नेल मेडिसिन स्कूल ने इस चौंकाने वाली रिपोर्ट को तैयार किया है। उन्होंने 18 से 76 साल के पुरुषों की दाढ़ी के नमूने लिए। जांच में पाया गया कि कई दाढ़ियों में ऐसे बैक्टीरिया मौजूद थे जो आमतौर पर टॉयलेट सीट पर पाए जाते हैं।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि दाढ़ी को बार-बार हाथों से छूने से बचना चाहिए और इसे हमेशा साफ रखना चाहिए, क्योंकि दाढ़ी में संक्रमण का खतरा बहुत अधिक होता है।

डॉक्टरों के अनुसार, दाढ़ी में संक्रमण का पता 118 साल पहले ही चल गया था। 1907 में एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने दाढ़ी और मूंछ पर शोध किया था। इस शोध में पाया गया कि पुरुषों की दाढ़ी और मूंछों के कारण महिलाओं में तपेदिक और डिप्थीरिया जैसे बैक्टीरिया फैल गए थे।

प्राचीन सभ्यताओं में दाढ़ी को धन, शक्ति और सम्मान का प्रतीक माना जाता था। मिस्र में अमीर और शक्तिशाली पुरुष अपनी दाढ़ी को रंगवाते थे और उसे सोने के धागों से बुनते थे।

दाढ़ी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें भी हैं। एक अनुमान के अनुसार, एक आदमी के चेहरे पर लगभग 30,000 दाढ़ी के बाल होते हैं और औसतन आदमी की दाढ़ी प्रति माह लगभग आधा इंच बढ़ती है।

17वीं शताब्दी के अंत में रूसी ज़ार पीटर द ग्रेट ने दाढ़ी पर टैक्स लगाया था, क्योंकि वह साफ-सुथरे दिखने के पक्के समर्थक थे।

दुनिया में दाढ़ी को लेकर मुकदमे भी हुए हैं। अमेरिका में केली बनाम जॉनसन केस में न्यूयॉर्क पुलिस में दाढ़ी नहीं रखने के नियम पर सवाल उठाए गए थे। हालांकि, अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने दाढ़ी नहीं रखने के तर्क को सही माना था।

एक पुरुष औसतन अपने जीवनकाल में 3,350 घंटे यानी लगभग 139 दिन शेविंग पर बिताता है। भारत में ग्रूमिंग प्रोडक्ट्स का बाजार 25,670 करोड़ रुपये का है और इसके 2030 तक 8.75% बढ़ने की संभावना है।

हर साल नवंबर में नो-शेव नवंबर और मोवेंबर जैसे अभियान चलाए जाते हैं। इनका उद्देश्य पुरुषों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और कैंसर रोगियों की मदद करना है। नो शेव नवंबर में लोग दाढ़ी नहीं कटाते और बचा हुआ पैसा कैंसर रोगियों के लिए दान कर देते हैं। मोवेंबर पुरुषों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के लिए जागरूकता बढाने का अभियान है।

दाढ़ी रखना आजकल फैशन है, लेकिन अगर आपको दाढ़ी वाला फैशन पसंद है, तो इसमें सफाई की गारंटी जरूर रखिए।

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