वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) एक सैन्य तंत्र है जो दुश्मन के विमानों, मिसाइलों, ड्रोन और अन्य हवाई खतरों से किसी देश की वायुसीमा की सुरक्षा करता है. यह प्रणाली रडार, सेंसर, मिसाइल, और गन सिस्टम का उपयोग करके हवाई खतरों का पता लगाती है, उन्हें ट्रैक करती है और उन्हें नष्ट करने के लिए जवाबी कार्रवाई करती है.
एयर डिफेंस सिस्टम को एक जगह तैनात रखा जा सकता है या इसे एक जगह से दूसरी जगह भी ले जा सकते हैं. यह छोटे ड्रोन से लेकर बैलिस्टिक मिसाइल जैसे बड़े खतरों तक को रोकने में सक्षम होती है.
एयर डिफेंस सिस्टम चार मुख्य हिस्सों में काम करता है. रडार और सेंसर दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और ड्रोन का पता लगाते हैं. कमांड एंड कंट्रोल सेंटर डेटा प्रोसेस कर प्राथमिकता तय करता है. हथियार प्रणालियां खतरों को रोकती हैं, जबकि मोबाइल यूनिट्स तेजी से तैनाती में सक्षम होती हैं, जो इसे युद्धक्षेत्र में बेहद प्रभावी बनाती हैं.
अमेरिका अपने गोल्डन डोम सिस्टम पर 175 अरब डॉलर का ख़र्च कर रहा है. गोल्डन डोम सिस्टम के लिए अमेरिकी बजट में 25 अरब डॉलर की शुरुआती रकम निर्धारित की गई है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका के पास जो मौजूदा डिफेंस सिस्टम है वो इसके संंभावित दुश्मनों के तेजी से बढ़ते आधुनिक हथियारों से बचाव के मामले में पिछड़ गया है.
ट्रंप ने बताया है कि नया मिसाइल डिफेंस सिस्टम ज़मीन, समुद्र और अंतरिक्ष में नई पीढ़ी की टेक्नोलॉजी से लैस होगा. इस सिस्टम के तहत अंतरिक्ष में ऐसे सेंसर और इंटसेप्टर होंगे जो इन हवाई हमलों के ख़तरों को रोक सकेंगे. ये सिस्टम कुछ हद तक इसराइल के आयरन डोम से प्रेरित है.
फ़िलहाल अमेरिका के पास मौजूद थाड यानी टर्मिनल हाइ एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस मिसाइल सिस्टम को उसने कई सहयोगी देशों की सुरक्षा के लिए तैनात किया है. यह प्रणाली मध्यम रेंज की बैलेस्टिक मिसाइलों को उड़ान के शुरुआती दौर में ही गिराने में सक्षम है. यह 200 किलोमीटर दूर तक और 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक मार करने में सक्षम है. अमेरिका के पास एमआईएम 104 पैट्रिअट एयर डिफ़ेंस सिस्टम भी है, जिसकी ऑपरेशनल रेंज 170 किलोमीटर है.
ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के बीच इसराइल का एंटी मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम आयरन डोम सुर्खियों में रहा था. हमास के साथ युद्ध के दौरान इसराइल ख़ुद को सुरक्षित रखने के लिए आयरम डोम सिस्टम का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करता रहा है.
इसराइली अधिकारियों के मुताबिक़ ये तकनीक 90 प्रतिशत मामलों में कारगर साबित होती है. ये रॉकेट को रिहायशी इलाकों में ज़मीन पर गिरने से पहले ही मार गिराती है.
इसराइल के पास डेविड फ्लिंग नाम का एक एयर डिफ़ेंस सिस्टम भी है, जिसका रेंज 70 से 300 किलोमीटर तक है.
भारत के एयर डिफ़ेंस सिस्टम एस 400 को भारतीय सेना सुदर्शन चक्र के नाम से संबोधित करती है. भारत का एयर डिफ़ेंस सिस्टम अपनी कई परतों और सिस्टम में विविधता के लिए जाना जाता है. इसमें रूसी, इसराइली और स्वदेशी तकनीकों का मिश्रण है, जो इसे इसके पड़ोसी देशों की तुलना में अधिक प्रभावी बनाता है. एस-400 मोबाइल सिस्टम है यानी सड़क के ज़रिए इसे लाया-ले जाया जा सकता है. इसके बारे में कहा जाता है कि आदेश मिलते ही पांच से 10 मिनट के भीतर इसे तैनात किया जा सकता है. इसकी रेंज 400 किलोमीटर तक होती है.
पाकिस्तान के पास चीन में बने एचक्यू-9, एचक्यू-16 और एफ़एन-16 जैसे एयर डिफ़ेंस सिस्टम हैं. इनमें से एचक्यू-9 को साल 2021 में पाकिस्तान ने अपने हथियारों की लिस्ट में शामिल किया था. इसे रूस के एस-300 के बराबर माना जाता है.
RAW FOOTAGE: This is the moment the Iron Dome intercepted a barrage of rockets over Tel Aviv and central Israel. pic.twitter.com/8jl8OTgWCl
— Israel Defense Forces (@IDF) May 11, 2021
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