सीमा लांघते ही राजनयिकों पर फायरिंग, इजरायली सेना ने बरसाई गोलियां, मची अफरा-तफरी
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वेस्ट बैंक के जेनिन शरणार्थी शिविर में बुधवार को यूरोपीय राजनयिकों को जान बचाकर भागना पड़ा। वे गलती से इजरायली सीमा में प्रवेश कर गए थे, जिसके बाद इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं।

लगभग 30 देशों के राजनयिक जेनिन के शरणार्थियों की स्थिति का निरीक्षण करने आए थे। इसी दौरान वे अचानक गोलीबारी के बीच फंस गए। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में इजरायली सेना एक सैन्य अभियान चला रही थी।

हालांकि सभी राजनयिक सुरक्षित हैं, लेकिन इस घटना से एक कूटनीतिक संकट उत्पन्न होने की संभावना है।

यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने जेनिन में इजरायली कार्रवाइयों के मानवीय प्रभावों का आकलन करने के लिए दौरा किया था। इसी दौरान, क्षेत्र में इजरायली सैनिकों और फिलिस्तीनी हथियारबंद समूहों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई, जिसके कारण राजनयिक और उनके साथ आए सहायता कर्मचारी कुछ समय तक फंसे रहे। बाद में उनकी जान बचाने के लिए उन्हें वापस लौटना पड़ा।

गोलीबारी तेज होते ही यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल को तुरंत सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। इसके बाद सभी राजनयिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया और किसी के घायल होने की खबर नहीं है।

यूरोपीय संघ के एक प्रवक्ता ने इस घटना पर चिंता जताते हुए कहा कि राजनयिकों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है और इस तरह की घटनाएं क्षेत्र में मानवीय कार्यों को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना देती हैं।

इस घटना के पीछे की पृष्ठभूमि में जेनिन और वेस्ट बैंक के अन्य इलाकों में हाल के हफ्तों में बढ़ती हिंसा है।

इजरायली सेना ने जेनिन में एक आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने की बात कही है, जबकि फिलिस्तीनी पक्ष ने इसे नागरिकों को निशाना बनाने और अत्यधिक बल प्रयोग के रूप में बताया है।

यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय गाजा और वेस्ट बैंक की बिगड़ती स्थिति को लेकर चिंता जता रहा है। यूरोपीय संघ ने दोनों पक्षों से संयम बनाए रखने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।

वेस्ट बैंक के जेनिन शरणार्थी शिविर में हुई इजरायली सैन्य कार्रवाई के समय भारतीय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल वहां मौजूद नहीं था, यह जानकारी एक भारतीय अधिकारी ने दी। फिलिस्तीनी प्राधिकरण के विदेश मंत्रालय के अनुसार, जब गोलीबारी हुई उस समय ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा समेत 20 से अधिक देशों के राजनयिकों का एक समूह जेनिन शरणार्थी शिविर में मानवीय हालात का निरीक्षण करने के लिए आधिकारिक मिशन पर था।

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