अहमदाबाद: चंडोला झील क्षेत्र में बुलडोज़र का कहर, हज़ारों बेघर
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अहमदाबाद के चंडोला तालाब इलाक़े में सैकड़ों घरों पर बुलडोज़र चलाया गया है. आक्रोश, गुस्से और बेबसी के बीच रोते बच्चों की चीखें, ढहते मकान, तपती धूप में खाकी वर्दी में खड़े पुलिसकर्मी, और अपने घरों को ढहते देखते लोग, ये दृश्य चंडोला तालाब पर देखे गए.

बड़े पैमाने पर ये डिमोलिशन ड्राइव कथित बांग्लादेशी नागरिकों के ख़िलाफ़ चलाई जा रही है. लगभग दो सप्ताह पहले चंडोला तालाब के सियासत नगर में बंगाली मोहल्ले से शुरू हुआ घरों को ढहाने का अभियान अब पूरे क्षेत्र में फैल गया है. इस दौरान कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच लोग अपने घरों को बचाने का संघर्ष करते दिखे.

अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर जीएस मलिक और अहमदाबाद नगर निगम की एक टीम की मौजूदगी में यह अभियान चलाया गया. इस क्षेत्र में हज़ारों घर थे, जो अब ज़मींदोज़ हो चुके हैं. धार्मिक स्थलों को फ़िलहाल इससे बाहर रखा गया है.

कई लोगों का दावा है कि उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था. उन्हे चार दिन पहले मौखिक चेतावनी में कहा गया था कि उनके घरों को भी अन्य घरों की तरह ध्वस्त कर दिया जाएगा, इसलिए वे अपना सामान हटा लें.

मंगलवार की सुबह लोग आखिरी पल तक अपने घरों से जो कुछ भी बचा सकते थे, उसे निकालने की कोशिश कर रहे थे. चाहे वह घरेलू सामान हो, दरवाजे हों, बच्चों के खिलौने हों, टूटी साइकिलें हों या छत की टाइलें हों, हर कोई जो कुछ भी हटा सकता था उसे हटाने में व्यस्त था, जबकि कई लोग बुलडोज़रों को काम करते देख बस रो रहे थे.

अहमदाबाद के एडिशनल पुलिस कमिश्नर शरद सिंघल ने कहा था कि 2022 में, अल-क़ायदा के साथ सहानुभूति रखने वाले चार लोगों को इस इलाक़े से गिरफ़्तार किया गया था. इसलिए तथाकथित बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ़्तार करने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया गया.

इस तरह का अभियान पूरे प्रदेश में चलाया गया. अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और पाटन जैसे शहरों से कई लोगों को हिरासत में लिया गया. अब तक गुजरात से करीब 450 लोगों को हिरासत में लिया गया है और उनमें से कई को वापस बांग्लादेश भेज दिया गया है. कई लोग फ़िलहाल एसओजी और सरदारनगर स्थित डिटेंशन सेंटर में हैं.

चंडोला तालाब पर अपने सामान के साथ एक बुज़ुर्ग बशीर अलाउद्दीन बैठे हुए थे. उन्होंने बताया कि 1970 के दशक से कड़ी मेहनत करके उन्होंने अपना घर बनाया था. उनके परिवार में लगभग 30 लोग हैं. उनके पास करीब 50 भेड़, बकरियां, मुर्गियां आदि हैं. इन सबके साथ वह अपना सामान लेकर चंडोला तालाब के मैदान में बैठे हैं.

उनकी पत्नी के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. उन्होंने कहा, इन जानवरों को कहां ले जाएं? कोई हमें घर भी किराए पर नहीं दे रहा है.

बिस्मिल्लाह बीबी अकेली हैं और शाम को चंडोला क्षेत्र में पापड़ और आलू बेचकर अपना जीवन यापन करती थीं. वो कहती हैं, मुझे नहीं पता कि अब कैसे ज़िंदा रहूंगी. मुझे डायबिटीज़ है, ब्लड प्रेशर है, इन सब के साथ, मुझे नहीं पता कि मैं कहां जाऊंगी.

चंडोला तालाब दानिलिमडा, इसनपुर और शाह-ए-आलम जैसे इलाक़ों में फैला हुआ है. इस पूरे इलाक़े में कितने घर होंगे इसका कोई सटीक अनुमान नहीं है, लेकिन कई लोगों का कहना है कि इनकी संख्या हज़ारों में होगी. ये सभी लोग फ़िलहाल चंडोला तालाब के मैदान में बनी छोटी-छोटी झोपड़ियों में रह रहे हैं और किराए का मकान पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

प्रशासन का मानना है कि इस क्षेत्र में वेश्यावृत्ति, नशीले पदार्थों का कारोबार, शराब का कारोबार, सट्टा-जुआ समेत कई अवैध गतिविधियां चल रही थीं. हालांकि, इस तोड़फोड़ के बाद अहमदाबाद नगर निगम ने घोषणा की है कि साढ़े सात हज़ार रुपये देकर सरकारी आवास योजना के तहत वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है. लेकिन लोगों का कहना था की उनके पास साढ़े सात हजार रुपये भी नहीं है.

जिनके घर तोड़े गए थे, वो रास्तों के किनारे अपना बचा हुआ सामान लेकर बैठे थे. हीराबेन ने कहा, हम अहमदाबाद के मीरा इलाके में रहते थे, जहां दंगे हुए थे. इसलिए हम उस इलाके को छोड़कर चंडोला में रहने आ गए.

एक बुज़ुर्ग महिला सविता चावड़ा ने कहा, हमने ईंटें इकट्ठा करके ये घर बनाया था. हमारे पास कहीं भी किराये पर रहने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं.

आधिकारिक जानकारी के अनुसार, चंडोला तालाब क्षेत्र में 2.50 लाख वर्ग मीटर से अधिक ज़मीन पर डिमोलिशन ड्राइव चलाई गई. सुरक्षा के लिए 3,000 से अधिक पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था.

अहमदाबाद के जॉइन्ट पुलिस कमिश्नर (क्राइम) शरद सिंघल ने कहा, पहले चरण में निगम द्वारा लगभग 1.5 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र खाली कराया गया.

पुलिस कमिश्नर जीएस मलिक ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देश दिया है कि चंडोला तालाब में अतिक्रमण और अवैध निर्माण नहीं किया जाना चाहिए. और अगर इस इलाके में बांग्लादेश से आए अवैध अप्रवासी बड़ी संख्या में रह रहे थे, तो उन्हें भी हिरासत में लिया गया है.

अहमदाबाद के दानिलिमडा क्षेत्र में स्थित चंडोला तालाब लगभग 1200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है. जब भी अहमदाबाद में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों, विशेषकर बांग्लादेशी नागरिकों के मुद्दे पर चर्चा होती है, तो दानिलिमडा, शाह आलम, मणिनगर और इसनपुर के बीच स्थित चंडोला तालाब के आसपास की बस्तियों का नाम ज़रूर आता है. पुलिस पहले भी वहां तलाशी अभियान चला चुकी है.

पिछले साल 24 अक्तूबर को गुजरात पुलिस ने कार्रवाई कर लगभग 48 लोगों को हिरासत में लिया और उन्हें बांग्लादेश भेजने की प्रक्रिया शुरू की थी. पुलिस ने उस समय दावा किया था कि ये सभी लोग फ़र्जी आधार कार्ड, राशन कार्ड आदि के आधार पर अहमदाबाद के चंडोला तालाब क्षेत्र में अवैध घरों में रह रहे थे. यहां रहने वाले कुछ लोगों ने कहा कि उनके पास सब दस्तावेज हैं और वे दशकों से इस इलाक़े में रहते आए हैं.

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