झारखंड शराब घोटाला: ACB ने IAS विनय चौबे को किया गिरफ्तार, कैसे खुली घोटाले की पोल?
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एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने आईएएस विनय कुमार चौबे को शराब घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया है। चौबे को रांची स्थित उनके आवास से पूछताछ के लिए ACB कार्यालय लाया गया, जिसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया। यह गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले से जुड़े कनेक्शन के आधार पर हुई है।

यह शराब घोटाला केवल झारखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें छत्तीसगढ़ से जुड़ी हुई हैं। छत्तीसगढ़ में स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारी और कई शराब कारोबारी जांच के घेरे में हैं।

जांच में सामने आया कि छत्तीसगढ़ में सक्रिय शराब सिंडिकेट ने ही झारखंड में भी उसी रणनीति के तहत नई उत्पाद नीति लागू करवाई थी। इस नीति के तहत अवैध शराब के लाभ झारखंड में भी उठाए जा रहे थे।

इस संदर्भ में आईएएस विनय चौबे की भूमिका संदिग्ध थी, जो उस समय झारखंड के उत्पाद सचिव थे। विनय कुमार चौबे 1999 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं।

ईडी ने छत्तीसगढ़ और झारखंड के बीच बनी संदिग्ध सांठगांठ के आधार पर मामला आगे बढ़ाया। अक्टूबर 2024 में ईडी की टीम ने झारखंड में कई स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें विनय चौबे का आवास भी शामिल था।

सितंबर 2024 में छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें विनय चौबे को मुख्य आरोपी बनाया गया। इसी आधार पर झारखंड ACB ने भी राज्य सरकार की अनुमति से जांच शुरू की।

2024 में एसीबी की पूछताछ के दौरान विनय चौबे ने खुद को निर्दोष बताते हुए दावा किया कि झारखंड में लागू की गई नई उत्पाद नीति राज्य सरकार की मंजूरी से बनी थी।

हालांकि जांच एजेंसियों को इस बात के संकेत मिले हैं कि छत्तीसगढ़ का वही शराब सिंडिकेट झारखंड में भी नीति निर्माण से लेकर शराब वितरण के हर स्तर पर भ्रष्टाचार फैला रहा था और चौबे ने इस नीति को आगे बढ़ाने में भूमिका निभाई।

जांच एजेंसियों का मानना है कि इस घोटाले में राजनीतिक संरक्षण भी शामिल हो सकता है और एसीबी और ईडी इस मामले को गहराई से खंगाल रही हैं। आगे चलकर और बड़े अधिकारियों और कारोबारी चेहरों की गिरफ्तारी संभव है।

आईएएस अधिकारी की गिरफ्तारी से साफ हो गया है कि झारखंड में शराब घोटाले में सरकारी तंत्र संलिप्त था, जिसकी परतें अब खुलने लगी हैं। यह कार्रवाई राज्य की नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा संकेत है।

यह पूरा मामला दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में एक ही सिंडिकेट कैसे प्रशासन के सहयोग से नीतियों को अपने पक्ष में मोड़कर करोड़ों का घोटाला करने में सक्षम हुआ। अब देखना यह होगा कि ACB और ED की जांच किस ओर रुख करती है।

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