भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को सिर्फ सीमा तक सीमित नहीं रखा है। 7 मई को पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर की गई सर्जिकल एयर स्ट्राइक ऑपरेशन सिंदूर के बाद, अब केंद्र सरकार ने एक बड़ा कूटनीतिक कदम उठाया है।
सरकार ने फैसला किया है कि भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को अंतरराष्ट्रीय मंचों और देशों तक पहुंचाया जाएगा। दुनिया को बताया जाएगा कि भारत केवल हमलों का जवाब नहीं देता, बल्कि आतंकी संगठनों और उन्हें शरण देने वाले देशों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करता है।
इसके लिए, केंद्र सरकार सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के चुनिंदा सांसदों को विदेश दौरे पर भेज रही है। ये सांसद अमेरिका, ब्रिटेन, यूएई, कतर और दक्षिण अफ्रीका जैसे महत्वपूर्ण देशों में जाएंगे। वहां की सरकारों, राजनयिकों और नीति-निर्माताओं के साथ बातचीत कर आतंकवाद पर भारत का पक्ष मजबूती से रखेंगे।
सरकार का मानना है कि जब अलग-अलग विचारधाराओं के नेता मिलकर एक आवाज में आतंकवाद के खिलाफ बोलेंगे, तो दुनिया में भारत की विश्वसनीयता मजबूत होगी।
सूत्रों के मुताबिक, सांसदों का यह विदेश दौरा 22 या 23 मई से शुरू हो सकता है और लगभग 10 दिन तक चलेगा। विदेश मंत्रालय ने सांसदों को जरूरी दस्तावेज और पासपोर्ट तैयार रखने के लिए कहा है। दौरे से जुड़े बाकी विवरण जल्द ही साझा किए जाएंगे।
इस डेलीगेशन में बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू, डीएमके, एनसीपी (शरद पवार गुट) के सांसद शामिल होंगे। 7 सांसदों वाले 7 समूह बनाए जाएंगे। हर ग्रुप के साथ विदेश मंत्रालय का एक अधिकारी और एक सरकारी प्रतिनिधि भी मौजूद रहेगा।
इस डेलीगेशन का नेतृत्व करने वालों में कांग्रेस के शशि थरूर, बीजेपी के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, जेडीयू के संजय कुमार झा, डीएमके की कनिमोझी, एनसीपी की सुप्रिया सुले और शिवसेना के श्रीकांत शिंदे का नाम शामिल है।
इन यात्राओं में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद को भी शामिल किया गया है, भले ही वे वर्तमान में सांसद नहीं हैं। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंद्योपाध्याय को भी इस दौरे के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से मना कर दिया।
अमेरिका में भारत का पक्ष रखने की जिम्मेदारी कांग्रेस नेता शशि थरूर के कंधों पर हो सकती है।
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर असदुद्दीन ओवैसी के बयानों को देखते हुए उम्मीद थी कि उन्हें डेलीगेट्स की टीम में रखा जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके पीछे क्या वजह है, इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है।
हालांकि, इस टीम में अभी और नाम जुड़ने की गुंजाइश है। अनुराग ठाकुर, अपराजिता सारंगी, मनीष तिवारी, अमर सिंह, राजीव प्रताप रूडी, समिक भट्टाचार्य, बृज लाल, सरफराज अहमद, प्रियंका चतुर्वेदी, विक्रमजीत साहनी, सस्मित पात्रा और भुवनेश्वर कलिता के नाम भी शामिल किए जा सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया जैसे महत्वपूर्ण इस्लामिक देशों का दौरा करेगा। वहीं, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले की अगुवाई में एक टीम ओमान, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और मिस्र जैसे देशों की यात्रा पर निकलेगी। कांग्रेस नेता संजय झा के नेतृत्व वाला एक अन्य प्रतिनिधिमंडल जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे एशियाई देशों का दौरा करेगा।
कांग्रेस ने कहा है कि उनके द्वारा दिए गए नामों को केंद्र ने लिस्ट में शामिल नहीं किया है। कांग्रेस की ओर से आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बराड़ के नाम दिए गए थे।
यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने किसी मुद्दे पर विपक्षी नेताओं को विदेश भेजा हो। 1994 में कश्मीर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में जिनेवा में एक डेलीगेशन भेजा था। वहीं, 2008 के मुंबई हमलों के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक दबाव बनाने के लिए सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजा था।
ऑपरेशन सिंदूर के बीच, केंद्र सरकार ने 66 IAS-IPS अधिकारियों का तबादला किया है, जिसमें दिल्ली से बाहर भेजे गए 22 अफसर भी शामिल हैं।
In the context of Operation Sindoor and India s continued fight against cross-border terrorism, seven All-Party Delegations are set to visit key partner countries, including members of the UN Security Council later this month. The following Members of Parliament will lead the… pic.twitter.com/VGCGXPlLn5
— ANI (@ANI) May 17, 2025
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