क्या ट्रंप के कहने पर एप्पल भारत छोड़ देगा? जानिए क्या है सच्चाई
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एप्पल से भारत में आईफ़ोन का उत्पादन बंद करने को कहा है। उन्होंने यह बात कतर में एक कार्यक्रम के दौरान कही। ट्रंप का कहना है कि भारत अपना ख्याल खुद रख लेगा।

ट्रंप ने एप्पल के सीईओ टिम कुक से कहा कि वे नहीं चाहते कि एप्पल भारत में आईफ़ोन बनाए, क्योंकि भारत सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में शामिल है। उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत ने अमेरिका के साथ जीरो टैरिफ समझौते की पेशकश की है।

हालांकि, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है और जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी तय नहीं होगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर एप्पल भारत के बाजार के लिए भारत में उत्पादन करना चाहता है तो करे, लेकिन अमेरिका के लिए उसे अमेरिका में आकर उत्पादन करना होगा।

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप प्रशासन ने एप्पल से अमेरिका में उत्पादन शुरू करने के लिए कहा हो। एप्पल के सीईओ टिम कुक ने हाल ही में कहा है कि कंपनी अगले चार सालों के दौरान अमेरिका में पांच सौ अरब डॉलर निवेश करेगी।

एप्पल ने 2017 में भारत में उत्पादन शुरू किया था। पिछले कुछ सालों में भारत में आईफ़ोन के उत्पादन में भारी बढ़ोतरी हुई है। पिछले वित्तीय वर्ष में एप्पल ने भारत में 22 अरब डॉलर कीमत के आईफ़ोन का उत्पादन किया। यह इससे पिछले साल के मुकाबले में 60 प्रतिशत अधिक है।

एप्पल ने भारत से वित्त वर्ष 2024-25 में 17.4 अरब डॉलर के आईफ़ोन का निर्यात किया। इसी महीने एप्पल ने बताया था कि वह अमेरिकी बाजार में बिकने के लिए बनने वाले अधिकतर आईफ़ोन और अन्य उत्पादों के उत्पादन को चीन से बाहर ले जा रही है।

टिम कुक ने कहा था कि अमेरिकी बाजार में बिकने वाले अधिकतर आईफ़ोन भारत में बनेंगे, जबकि आईपैड और आईवॉच जैसे उत्पाद वियतनाम में बनाए जाएंगे। फिलहाल कुल आईफ़ोन में से बीस प्रतिशत भारत में उत्पादित होते हैं और एप्पल की योजना इसे और अधिक बढ़ाने की है।

2020 में भारत ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) यानी उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना शुरू की थी, जिसके तहत उत्पादन की कुछ तय शर्तें पूरी करने पर कंपनियों को सीधा फायदा पहुंचता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड के बाद कंपनियों में यह समझ बनी कि सिर्फ चीन या किसी एक देश पर उत्पादन के लिए निर्भर नहीं रहा जा सकता। भारत का एक बड़े बाजार के रूप में उभरना भी एप्पल के भारत में उत्पादन बढ़ाने का अहम कारण बना।

भारत में पिछले कुछ सालों में आईफ़ोन की बिक्री लगातार बढ़ी है, वहीं चीन के घरेलू बाजार में आईफ़ोन की बिक्री में गिरावट आई है। भारत आईफ़ोन के लिए बड़ा बाजार भी बन रहा है। इसलिए ही एप्पल जैसी कंपनियों के लिए भारत में उत्पादन बढ़ाना फायदे का सौदा है।

विश्लेषकों का यह भी मानना है कि बदलते वैश्विक परिवेश में एप्पल कंपनी अपने उत्पादन के लिए सिर्फ़ चीन पर ही निर्भर नहीं रहना चाहती थी। अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर और गंभीर हुआ है। इस दौरान भारत भी एक ऐसे उत्पादन हब के रूप में उभरा जहां फ़ोन जैसे जटिल उत्पाद को बनाने का इंफ़्रास्ट्रक्चर खड़ा हो रहा था और सरकार इसे प्रोत्साहित कर रही थी।

एप्पल के भारत में उत्पादन बढ़ाने से नई नौकरियों के मौके भी पैदा हुए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले साल अगस्त तक एप्पल के फ़ोन का उत्पादन कर रहीं और उनसे जुड़ी कंपनियों में 1 लाख 64 हज़ार से अधिक लोग सीधे तौर पर काम कर रहे थे।

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं ताकि वह अपने देश में नौकरियों के मौके पैदा कर सकें। लेकिन एप्पल के लिए भारत के मुकाबले अमेरिका में उत्पादन करना आसान नहीं होगा। अमेरिका में फ़ोन उत्पादन करना खर्चीला होगा इससे फ़ोन की क़ीमत भी बढ़ सकती है।

ट्रंप के बयान के बाद एप्पल के भारत में उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चर्चा तेज है। विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप के बयान को गंभीरता से लेने से पहले सोचना चाहिए क्योंकि ट्रंप के विचार बदलते रहते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि एप्पल के लिए भारत आना एक कॉमर्शियल फैसला था क्योंकि एप्पल चीन पर निर्भरता कम करना चाहती थी और वहां से बाहर निकलना चाहती थी। भारत में एप्पल को मौका और संसाधन दिखे तो वह आई और अपने पैर जमाए। अब एप्पल भारत में स्थापित हो चुकी है, एक पूरा इको-सिस्टम बन चुका है और कंपनी का उत्पादन लगातार यहां बढ़ रहा है। ऐसे में एप्पल के लिए यहां से जाना कोई आसान फैसला नहीं होगा।

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