पश्चिमी मीडिया, भारत के डिफेंस सेक्टर को बदनाम करने में जुटा हुआ है। पाकिस्तान के खिलाफ मेड इन इंडिया, मेड इन फ्रांस और मेड इन रशिया हथियारों ने धूम मचाई, जिससे वेस्टर्न मीडिया को दिक्कत हो रही है।
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान का हाल क्या किया, ये दुनिया ने देखा। लेकिन जब चीजें कयास पर थीं, तब बड़े अखबार भारत के खिलाफ झूठी खबरें छाप रहे थे, यह साबित करने के लिए कि पाकिस्तान ने भारत का रफाल फाइटर जेट गिरा दिया है।
फ्रांस में भारत के पूर्व राजदूत जावेद अशरफ के अनुसार, बिना फैक्ट सामने आए ब्रिटिश और दूसरे पश्चिमी मीडिया कहने लगे कि पाकिस्तानी एयरफोर्स भारतीय वायुसेना पर भारी पड़ी। उन्होंने इंतजार नहीं किया। यह एक ऐसा नैरेटिव था जो उन्होंने सामने रखा, खासतौर से अमेरिका और ब्रिटिश मीडिया ने। इसकी मुख्य वजह कॉमर्शियल हित है। वे खासतौर से रफाल एयरक्राफ्ट को टारगेट कर रहे थे।
पाकिस्तान अगर झूठ बोलता है तो समझ आता है, लेकिन रफाल को लेकर झूठी खबरें छापने के पीछे इन देशों का क्या हित है? तीन एजेंसियां झूठी खबरें चला रही हैं।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया कि चीन के हथियारों की विश्वनीयता बढ़ी है। इसी आर्टिकल में झूठा दावा किया गया कि पाकिस्तान ने रफाल समेत भारत के पांच फाइटर जेट्स गिरा दिए हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी छापा की भारत के फाइटर जेट्स मार गिराए गए हैं, जिनमें रफाल भी शामिल है। इनका सोर्स पाकिस्तानी डिफेंस सोर्स था। इनके पास कोई पुख्ता सबूत नहीं था। रॉयटर्स ने भी रफाल के गिरने का झूठा और बेबुनियाद दावा कर दिया।
रफाल के गिरने की खबर, अमेरिकी और ब्रिटिश नैरेटिव को सूट करता है। इसके पीछे चार वजह हैं।
पहली, भारत ने अमेरिकी F-16, F-18 और यूरोपीयन फाइटर जेट यूरोफाइटर टाइफून की जगह रफाल को चुना।
दूसरी, भारत आगे भी फाइटर जेट्स खरीदने का प्लान बना रहा है, जिसकी रेस में अमेरिका और यूरोप के फाइटर जेट्स हैं।
तीसरी, भारत ने अमेरिका के थाड एयर डिफेंस सिस्टम की जगह S-400 को चुना।
चौथी, भारत-पाकिस्तान के बीच इस संघर्ष में रफाल के सामने चीन और अमेरिकी फाइटर जेट का फेल होना।
भारत ने 2008 में 126 फाइटर जेट्स की खरीद के लिए दुनियाभर की कंपनियों से कोटेशन मांगा था। इस रेस में कई कंपनियां शामिल थीं, लेकिन भारत ने रफाल को चुना। पाकिस्तान ने जैसे ही रफाल को गिराने का दावा किया, इन देशों के अखबारों ने बिना फैक्ट चेक किए खबर छापनी शुरू कर दी।
भारत को अभी भी 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स की जरूरत है। मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट की रेस शुरू होने वाली है, जहां ये कंपनियां भारत को अपना एयरक्राफ्ट बेचना चाहेंगी। इसलिए पश्चिमी देशों के मीडिया हाउस रफाल को कमतर दिखाने में जुटे हैं।
बीते पांच सालों में रफाल सिर्फ एक बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। F-16, 20 बार क्रैश हो चुका है। अमेरिका के F-18 हॉर्नेट की बात करें तो बीते एक साल में तीन F-18 रेड सी में गिर चुके हैं। पांच साल में करीब 6, F-18 क्रैश हो चुके हैं। यूरोफाइटर टाइफून भी बीते पांच साल में 6 बार क्रैश हो चुका है।
अमेरिका चाहता था कि भारत उनके THAD एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदे, लेकिन भारत ने S-400 को चुना। इसलिए अमेरिकी मीडिया ने बिना वेरिफाई किए S-400 पर हमले की खबर छाप दी।
चीनी मीडिया ने भी दावा किया कि JF-17 थंडर से हाइपरसॉनिक मिसाइल के जरिए आदमपुर एयरबेस पर तैनात S-400 मिसाइल सिस्टम को निशाना बनाया गया।
कुल मिलाकर मामला आर्थिक हित का है। अमेरिका और यूरोपियन मीडिया रफाल से इसीलिए जल रहे हैं क्योंकि भारत ने उनके फाइटर जेट्स की जगह रफाल को चुना। उन्हें कमतर दिखाकर भारत को अपने फाइटर जेट्स बेचना चाहते हैं। चीन इसलिए भारत के हथियारों को नीचा दिखा रहा है क्योंकि भारत के फाइटर जेट्स, मिसाइल्स और ड्रोन्स ने उनके फाइटर जेट्स से लेकर एयर डिफेंस सिस्टम तक को खूब मारा।
#DNAWithRahulSinha | US-ब्रिटेन की मीडिया को रफाल से ईर्ष्या? भारत के हथियारों से क्यों जल रहे पश्चिमी देश?#DNA #IndiaPakistanNews #Rafale @RahulSinhaTV pic.twitter.com/3wLSSYq0rI
— Zee News (@ZeeNews) May 16, 2025
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